कानपुरः NSI बना 38 तरह की गन्ने से चीनी बनाने वाला पहला संस्थान, अब कुल 25 देशों के छात्रों को सिखाया हुनर
UP: विश्व बजारों में चीनी के अलग-अलग प्रकार की मांगों को देखते हुए एनएसआई ने उसी तरह की चीनी विभिन्न तकनीक से विकसित की है. एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन का कहना है कि यह विश्व का इकलौता शुगर इंस्टिट्यूट है.
UP: कानपुर, एक गन्ने से 38 तरह की चीनी बनाने में विश्व का पहला संस्थान नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (NSI) बन गया है. इससे पहले गन्ने से सिर्फ एक ही तरह की चीनी (Sugar) बनती थी. इससे गन्ने का अधिक इस्तेमाल नहीं हो पाता था. जिस कारण किसान और मील दोनों को घाटा होता रहता था. कचरा समझ कर जला दी जाने वाली खोई ( गन्ने का छिलका) भी बहुत काम का हो गया है. इससे देश की चीनी मिलों को फायदा हो रहा है. दूसरे देश भी शर्करा तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. NSI ने अब कुल 25 देशों के छात्र छात्राओं को चीनी बनाने का हुनर सिखाया है.
बाजारों में अलग अलग प्रकार की चीनी की मांग
विश्व बजारों में चीनी के अलग-अलग प्रकार की मांगों को देखते हुए एनएसआई ने उसी तरह की चीनी विभिन्न तकनीक से विकसित की है. एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन का कहना है कि यह विश्व का इकलौता शुगर इंस्टिट्यूट है. जिसने फार्मास्यूटिकल्स, लिक्विड, विटामिन युक्त, क्यूब, कैंडी ,ब्राउन, रॉ, डेमरारा, प्लांटेशन व्हाइट समेत 38 प्रकार की चीनी तैयार की है. इसे शर्करा उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी धमक बनाए रखेगा. शर्करा उद्योग के विकास के दूसरे देश भी एनएसआई का सहयोग ले रहे हैं.
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25 देशों के छात्र छात्राओं ने ली शिक्षा
निदेशक का कहना है कि 25 देशों के छात्र छात्राओं ने यहां आकर शर्करा उद्योग के संबंध में शिक्षा ली है. इसके अलावा एनएसआई मिस्त्र, नाइजीरिया, केन्या,यमन और इंडोनेशिया में शुगर इंस्टिट्यूट स्थापित करने में मदद कर रहा है. एनएसआई में अमेरिकी राज्य के विज्ञानी भी आ चुके हैं. चीन ने भी प्रतिनिधिमंडल भेजने और अपने यहां की चीनी मिलों को सुधारने के लिए एनएसआई की मदद मांगी थी. लेकिन कोविड आ जाने की वजह से टीम वहां नहीं जा पाई है.
रिपोर्ट:आयुष तिवारी