Kisan Andolan : किसान आंदोलन के समर्थन में आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईवे पर भाकियू कार्यकर्ता और किसान ट्रैक्टर श्रंखला बनाएंगे.ट्रैक्टर श्रृंखला के मद्देनजर पुलिस अलर्ट है. हाईवे के सभी थानों की पुलिस को सुरक्षा व व्यवस्था बनाने के लिए आदेश किए गए हैं. वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के ऐलान पर यूपी में आज किसान ट्रैक्टर मार्च करेंगे. दिल्ली जाने वाले हाईवे की एक लेन पर ट्रैक्टर चलेंगे और दूसरी लेन पर अन्य सभी वाहन. किसान नेताओं ने ये भी कहा है कि ट्रैक्टर मार्च में पब्लिक को परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखना है. ये कार्यक्रम सुबह 11.00 बजे से दोपहर 4.00 बजे तक रहेगा. इसके बाद सभी किसान अपने-अपने घरों को वापस लौट आएंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के पास के गांवों के किसान इस ट्रैक्टर मार्च में शामिल होंगे. इसका आयोजन वहीं पर होगा, जहां से दिल्ली की तरफ जाने वाले हाईवे निकल रहे हैं. इस दौरान जगह-जगह वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के पुतले भी फूंके जाएंगे. राकेश टिकैत ने आगे कहा कि हाईवे के किनारे पर दिल्ली की दिशा में ट्रैक्टर खड़े किए जाएंगे. दूसरी तरफ का हाईवे जनता के लिए खुला छोड़ेंगे, ताकि मुसाफिरों को गंतव्य तक जाने में परेशानी न पहुंचे. ऐसा करके देश का किसान शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज कराएगा. ट्रैक्टर श्रृंखला का यह संदेश होगा कि यदि सरकार, किसान और कृषि विरोधी नीतियों को वापस नहीं लेती है तो दिल्ली अब दूर नहीं है. सिर्फ एक कॉल की दूरी पर है. हम भारत सरकार को चेता रहे हैं कि कृषि और किसान के हित में देश को विश्व व्यापार संगठन से बाहर ही रखा जाए.
किसानों ने की विश्व व्यापार संगठन से कृषि को बाहर रखने की मांग
बता दें कि यूपी-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों का मूवमेंट रह सकता है. भाकियू के राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर राणा ने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर के आसपास भी ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. इसे लेकर दिल्ली और यूपी दोनों ही राज्यों की पुलिस अलर्ट है. गाजीपुर बॉर्डर पर नेशनल हाईवे की दोनों सर्विस लेन 12 फरवरी से बंद पड़ी हुई हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 26-29 जनवरी को आबू धाबी में होने वाले विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कृषि को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखने के लिए विकसित देशों पर दबाव डाला जाए. उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार को अपने किसानों की सुरक्षा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश के अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए. इनके रास्ते में किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था या समझौते को आने की इजाजत नहीं दी जा सकती.