Lok Sabha Election 2024 : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा सोमवार को अमेठी पहुंची. इसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी शामिल होना था, लेकिन वे नहीं पहुंचे. सपा प्रमुख ने कहा कि सपा कार्यकर्ता राहुल गांधी की यात्रा में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक कि सीट शेयरिंग पर फैसला नहीं होता. उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के साथ कई बार बातचीत हो चुकी है. कई सूचियां उधर से आई हैं और कई इधर से भी गई हैं, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला. इस बीच समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटों का प्रस्ताव भेजा है. समाजवादी पार्टी की ओर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर 17 सीट देने की बात कही गई है. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को प्रदेश की 17 सीटों में कौन सी सीटें ऑफर की है। फिलहाल इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है. सूत्रों के मुताबिक वाराणसी, गोरखपुर, महाराजगंज, प्रयागराज, झांसी, कुशीनगर, गाजियाबाद, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ और बांसगांव कांग्रेस को दी जा सकती है. बता दें कि इससे 23 दिन पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 11 सीटों का प्रस्ताव भेजा था. अखिलेश ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि कांग्रेस के साथ 11 मजबूत सीटों से हमारे सौहार्दपूर्ण गठबंधन की अच्छी शुरुआत हो रही है. ये सिलसिला जीत के समीकरण के साथ और भी आगे बढ़ेगा.
यूपी में I.N.D.I गठबंधन से कांग्रेस फायदे में
बता दें कि पिछले 5 लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यह साफ है कि यूपी में I.N.D.I गठबंधन होता है, तो अखिलेश के साथ आने से कांग्रेस ही फायदे में रहेगी. इस समय सिर्फ रायबरेली ही उसके पास है. यहां से खुद सोनिया गांधी सांसद हैं. इसके अलावा अमेठी को भी भाजपा ने कांग्रेस से छीन लिया है. यहां से 2019 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया था. ऐसे में यूपी में अगर सपा से सीट शेयरिंग हुई तो कांग्रेस को उसके वोट बैंक का फायदा मिलेगा. वैसे भी भाजपा का संगठन इस समय सबसे मजबूत स्थिति में है. रायबरेली में भी इस बार कांग्रेस के लिए आसान मुकाबला नहीं होने वाला. इसके अलावा बसपा काफी कमजोर स्थिति में है. सपा के साथ गठबंधन के चलते ही वह 2019 में 10 सीटें जीत सकी थी. विधानसभा में भी बसपा का सिर्फ एक विधायक है.
सपा ने 2019 चुनाव में रायबरेली और अमेठी से नहीं उतारा था प्रत्याशी
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का कोई औपचारिक गठबंधन नहीं था. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. तब कांग्रेस ने सूबे की 80 में से 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, मगर 6.4% वोट शेयर के साथ केवल एक सीट रायबरेली ही जीत सकी थी. इसके अलावा कांग्रेस तीन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. यहां तक कि तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अमेठी की अपनी परंपरागत सीट भी नहीं बचा पाए थे.
कांग्रेस का यूपी में पिछले तीन चुनावों में प्रदर्शन
- 2009- कांग्रेस 69 सीटों पर चुनाव लड़ी और 21 पर जीत दर्ज की. सपा 75 पर लड़कर 23 और बसपा 69 पर लड़कर 20 सीटों पर जीत दर्ज की.
- 2014- कांग्रेस 67 पर लड़कर सिर्फ 2 सीट पर जीत दर्ज की. सपा 75 में 5 सीट पर जीत दर्ज की. जबकि बसपा का सूपड़ा साफ हो गया था.
- 2019- सपा-बसपा का गठबंधन था. कांग्रेस 67 पर लड़ी और सिर्फ रायबरेली जीत पाई. सपा 37 पर लड़ी और 5 जीती. जबकि बसपा 38 पर लड़ी और 10 पर जीत दर्ज की. बता दें कि रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव हारने के बाद सपा के अब सिर्फ तीन सांसद हैं.