लखनऊ: यूपी डिप्थीरिया (गला घोंटू) बीमारी के कारण 102 बच्चों की मौत हो गयी है. इसके चलते स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है. कोरोना काल में रूटीन इम्यूनाइजेशन (टीकाकरण) कार्य प्रभावित होने के चलते ये समस्या पैदा हुई है. अब सरकार बच्चों को डिप्थीरिया से बचाने के लिये 1 नवंबर से 10 नवंबर तक विशेष टीकाकरण अभियान चलाएगी. इसमें स्कूलों में जाकर बच्चों को डिप्थीरिया और टीडी की बूस्टर डोज लगायी जाएगी. इसके बाद अप्रैल के तीसरे और चौथे सप्ताह में हर साल इस अभियान को चलाया जाएगा. इस अभियान का खासबात यह है कि यह अभियान पूरी तरह से स्कूल आधारित होगा.
ये है सच्चाई
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सरकारी आंकड़ों की मानें तो यूपी में 2019 में 182, 2021 में 113, 2022 में 178 और 2023 में अब तक 102 बच्चों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग इन्हें डिप्थीरिया के संदिग्ध मामले (Suspected Diptheria Death) के रूप में मान रहा है.
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यूपी में डिप्थीरिया के अनुमानित केस 2022 में एक हजार से अधिक थे. जबकि 2023 में अब तक डिप्थीरिया के 700 से अधिक केस मिल चुके हैं.
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70 फीसदी डिप्थीरिया के लक्षण 5 साल से ऊपर के बच्चों में मिले हैं.
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60 प्रतिशत केस टीकाकरण से वंचित रह चुके या फिर ऐसे बच्चों के हैं जिनका अधूरा टीकाकरण हुआ था.
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार डीपीटी सेकेंड बूस्टर डोज, टीडी 10 और टीडी 16 टीकाकरण 2021 में 60 प्रतिशत था. 2023 में टीकाकरण का प्रतिशत कुछ बढ़ा है.
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यूपी में डिप्थीरिया का केस फर्टिलिटी रेट (CFR) 2023 में 13 प्रतिशत है. जबकि 2021-2022 में सीएफआर 17 प्रतिशत था.
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सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पांच साल से ऊपर के बच्चों में डिप्थीरिया का कारण डीपीटी सेकेंड बूस्टर डोज, टीडी 10 और टीडी 16 टीकाकरण का कम होना है.
डिप्थीरिया (गलघोंटू) की रोकथाम व बचाव के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों को 1 नवंबर से डिप्थीरिया-पर्ट्यूसिस-टिटनेस (DPT) व टिटनेस-डिप्थीरिया (TD) का टीका लगाने का विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा. स्कूल आधारित यह विशेष टीकाकरण अभियान 10 नवंबर तक जनपद के सभी सरकारी व निजी क्षेत्र के स्कूलों में चलेगा. यह अभियान शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग मिलकर चलाएंगे. इसके लिये महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद और निदेशक एनएचएम डॉ. पिंकी जोवल ने सभी जिलाधिकारियों और सीएमओ को पत्र भेजा है.
अभियान के अंतर्गत कक्षा एक में पढ़ रहे पांच वर्ष तक के बच्चों को डीपीटी सेकेंड बूस्टर डोज, कक्षा पांच में पढ़ रहे 10 वर्ष तक के बच्चों को टीडी प्रथम डोज, कक्षा 10 में पढ़ रहे 16 वर्ष तक के बच्चों को टीडी बूस्टर डोज़ दी जाएगी. अभियान के दौरान पड़ने वाले नियमित टीकाकरण दिवसों (बुधवार व शनिवार) में सभी स्कूल न जाने वाले एवं अन्य डीपीटी सेकेंड बूस्टर, टीडी प्रथम एवं टीडी बूस्टर डोज़ वैक्सीन से छूटे हुये बच्चों को छूटे हुए टीके लगाए जाएंगे. हर टीकाकरण सत्र पर एडवर्स इवैंट फोलोविंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) प्रबंधन के लिए आवश्यक किट एवं डीपीटी के बाद बुखार के प्रबंधन के लिए आवश्यक दवा की उपलब्ध करायी जाएगी. बीमारी की गंभीरता को देखते हुए आगे के वर्षों में यह अभियान अप्रैल के तीसरे और चौथे सप्ताह में चलाया जाएगा. इस वर्ष पूरे प्रदेश में मिले डिप्थीरिया ग्रस्त 99 बच्चों का इलाज किया गया.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार डिप्थीरिया के लक्षण के आधार पर इस वर्ष 699 बच्चों की जांच की गई. डिप्थीरिया यानि रोहिणी बीमारी 2 से 11 वर्ष आयु के बच्चों में सामान्यतः अधिक होती है. हालांकि यह अन्य लोगों को भी हो सकती है. इसका इनक्यूबेशन पीरिएड दो से चार दिन होता है. इससे संक्रमित व्यक्ति को गले व नाक में मोटी व मटमैले रंग की परत छा जाती है. इससे सांस लेने में तकलीफ होती है. साथ ही खराश, बुखार, ठंड लगना व लसिका ग्रंथि में सूजन और कमजोरी महसूस होती है. बीमारी बढ़ने पर यह गले में टांसिल के रूप दिखाई देती है.
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