BRD मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का मामला : हिरासत में लिये गये पूर्व प्राचार्य डॉ राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला

लखनऊ : बाबा राघव दास मेडिकल कालेज, गोरखपुर के पूर्व प्राचार्य और उनकी पत्नी को बच्चों की मौत के मामले में मंगलवार को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स ने पूछताछ के लिए कानपुर से हिरासत में ले लिया. इस महीने की शुरुआत में मेडिकल कॉलेज में 48 घंटे में 60 बच्चों की मौत के बाद उत्तर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2017 6:20 PM

लखनऊ : बाबा राघव दास मेडिकल कालेज, गोरखपुर के पूर्व प्राचार्य और उनकी पत्नी को बच्चों की मौत के मामले में मंगलवार को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स ने पूछताछ के लिए कानपुर से हिरासत में ले लिया. इस महीने की शुरुआत में मेडिकल कॉलेज में 48 घंटे में 60 बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेठी गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट के बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और इन दोनों का नाम इसमें था.

एसटीएफ एक अधिकारी ने बताया कि बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. उन्होंने इसके अलावा कोई और जानकारी देने से इनकार कर दिया. इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसमें पूर्व प्राचार्य और उनकी पत्नी भी शामिल थे. यह मामला यहां से गोरखपुर स्थानांतरित कर दिया गया है. इस प्राथमिकी में मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन की आपूर्ति करनेवाली कंपनी मेसर्स पुष्पा सेल्स का भी नाम था.

क्या है पूरा मामला?

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को बच्चों की मौत होने के बाद गोरखपुर के जिलाधिकारी को जांच सौंपी गयी थी. अपनी रिपोर्ट में जिलाधिकारी ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर कई अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों को लापरवाही का दोषी माना था. लेकिन, ऑक्सीजन की कमी की बात सामने नहीं आयी थी. मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी ने जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी. मामले में कई स्तरों पर अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की बातें सामने आयी थीं. ऑक्सीजन की आपूर्ति करनेवाली फर्म ने कॉलेज के प्राचार्य से लेकर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा तक को कई पत्र भेजे थे. इसके बावजूद किसी ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई नहीं की.

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