लखनऊ : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की वह याचिका कर दी, जिसमें उन्हें गलत तरीके से निलंबित रखे जाने के संबंध में उन्होंने 10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति मांगी थी. लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति नारायण शुक्ला तथा न्यायमूर्ति संजय हरकौली की युगलपीठ ने यह आदेश वादी की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकर तथा मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय को सुनने के बाद दिया.
पांडेय ने कहा कि कानून में इस प्रकार के क्षतिपूर्ति की व्यवस्था नहीं है. साथ ही उन्होंने आरोपित अधिकारियों (तत्कालीन मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव) का बचाव करते हुए कहा कि वे अपना कर्तव्य निभा रहे थे. अदालत ने कहा कि यदि ठाकुर जांच में निर्दोष पाये जाते हैं, तो उन्हें पूरा वेतन मिलेगा, लेकिन क्षतिपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही अदालत ने अमिताभ को अधिकारियों के संबंध में कार्यवाही के लिए सक्षम फोरम पर जाने की बात कहीं. याचिका में अमिताभ ने कहा था कि 90 दिनों के अंदर उनका निलंबन स्वयं खत्म होने के बाद भी उन्हें जान-बूझ कर सात महीने तक अवैध तरीके से निलंबित रखा गया.