गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र (12) ने क्लास टीचर की सजा से दुखी होकरपांचदिन पहले जहर खा लिया था. इलाज के दौरान बुधवार शाम उसकी मौत हो गयी. मरने से पहले छात्र ने सुसाइड नोट में अपनी आखिरी इच्छा में लिखा था कि मेरे मैम से कहें कि इतनी बड़ी सजा किसी को नहीं दें. घर के इकलौते बेटे के खुदकुशी करने से भड़के परिवार के लोगों ने स्कूल जाकर तोड़फोड़ की. मृतक छात्र के पिता की तहरीर पर पुलिस ने क्लास टीचर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उत्प्रेरित करने का मुकदमा दर्जकरलिया है.
जानकारी के मुताबिक गोरखपुर शहर के सेंट एंथोनीज कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले5वींकक्षा के छात्र ने 15 सितंबर को कथित तौर पर क्लास टीचर की सजा से तंग आकर जहर खा लिया था. जिसके बाद इलाज के दौरान कल उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया. खुदकुशी से पहलेछात्रद्वारा लिखेगये सुसाइड नोट के शब्द दिल को छू लेने वाले हैं. सुसाइड नोट में उसने जो लिखा वहइस तरह से है. पापा, आज 15 सितंबरको मेरा पहला एग्जाम था, मेरी मैम क्लास टीचर ने 9.15 तक रुलाया, खड़ा रखा इसलिए क्योंकि वो चापलूसों की बात मानती हैं, उनकी किसी बात पर विश्वास मत करिएगा पापा कल उन्होंने मुझे तीन पीरियड खड़ा रखा. आज मैंने सोच लिया है कि मैं मरने वाला हूं. मेरी आखिरी इच्छा मेरी मैडम अब किसी भी बच्चे को इतनी सजा न दें कि वो कहे बड़ी सजा है. अलविदा पापा-मम्मी और दीदी.
15 सितंबर को घर में अकेला था छात्र
शाहपुर क्षेत्र के मोहनापुर निवासी रवि प्रकाश दुबे का बेटा नवनीत 15 सितंबर की शाम घर में अकेला था और उसकी मां बाजार गयी थी. बड़ी बहन और पिता भी बाहर थे. देर शाम मां बाजार से वापस आयीं तो नवनीत एक कमरे में बेहोशी की हालत में पड़ा मिला. उसके मुंह से झाग निकल रहा था. उनके शोर मचाने पर मौके परपहुंचेपड़ोसी छात्रको मेडिकल कालेज ले गये, जहां इलाज के दौरान उसने बुधवार को दम तोड़ दिया.
सुसाइड नोट मिलने पर भड़के लोग
इकलौते बेटे की मौत से घर में कोहराम मचा हुआ था. इसी बीच कमरे में सुसाइड नोट मिलने परलोग भड़क गये. जिसके बाद गुस्साये लोग विद्यालय पहुंच गये और तोड़फोड़ करने लगे. परिवार के मुताबिक नवनीत पढ़ने में होनहार था. बच्चे के परिवार वालों ने आरोपी टीचर और स्कूल के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया है. वहीं स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि बच्चे की दिक्कतों को लेकर अभिभावक ने कभी मुझसे शिकायत नहीं की. बच्चे का यदि उत्पीड़न हो रहा था तो अभिभावक को शिकायत करनी चाहिए थी. बच्चा खुद भी मिलकर बता सकता था.
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