रैगिंग के खिलाफ आईआईटी कानपुर ने उठाया सख्त कदम, एक साथ 22 स्टूडेंट्स को किया सस्पेंड

कानपुरः देश में रैगिंग पर रोक लगी होने के बावजूद अब भी कुछेक संस्थानों में जूनियर छात्रों को शिकार बनाने का मामला सामने आ रहा है. खबर है कि कानपुर स्थित आर्इआर्इटी में संस्थान की आेर से रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए करीब 22 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है. मीडिया में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2017 2:32 PM

कानपुरः देश में रैगिंग पर रोक लगी होने के बावजूद अब भी कुछेक संस्थानों में जूनियर छात्रों को शिकार बनाने का मामला सामने आ रहा है. खबर है कि कानपुर स्थित आर्इआर्इटी में संस्थान की आेर से रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए करीब 22 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, संस्थान ने 16 छात्रों को तीन साल और छह स्टूडेंटों को एक साल के लिए निकाल दिया गया है. ये सभी अपने निलंबन की अवधि पूरी होने के बाद ही वापस पढ़ाई के लिए लौट सकेंगे.

इसे भी पढ़ेंः 24 घंटे में रैगिंग का केस करें, वरना नपेंगे प्रिंसिपल

आईआईटी-कानपुर के निदेशक प्रोफ़ेसर इंद्रानिल मन्ना और उप-निदेशक प्रोफ़ेसर मनिंद्रा अग्रवाल की उपस्थिति में संस्थान की सीनेट ने यह फ़ैसला किया. हालांकि, उसने पुलिस में शिकायत नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि इससे निलंबित स्टूडेंटों का भविष्य चौपट हो जाता.

मीडिया से बातचीत के दौरान प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि इन छात्रों को कैंपस में रहने की अनुमति नहीं होगी और वे निलंबन खत्म होने के बाद ही वापस आ सकेंगे. संस्थान की आेर से लिये गये इस फैसले से छात्रों में संदेश जायेगा कि रैगिंग नहीं करनी है और अपने जूनियर के साथ शिष्टाचार बनाये रखना है.

जुलाई में संस्थान में आये नये छात्रों ने आरोप लगाया था कि उनके सीनियरों ने जबरदस्ती उनके कपड़े उतरवाये और अश्लील हरकतें करने को मजबूर किया. संस्थान के एक प्रोफेसर ने इस घटना को लेकर एक ब्लॉग भी लिखा था. इसके बाद संस्थान प्रशासन मामले को दबा नहीं सका और उसे कार्रवाई करनी पड़ी. अगस्त में एक सामूहिक शिकायत दर्ज करायी गयी. संस्थान की जांच समिति ने आरोपों को सही पाया और सभी 22 आरोपितों को निलंबित करने की सिफारिश की, जिसे स्वीकार कर लिया गया.

Next Article

Exit mobile version