स्मृति ने पार्टी-सरकार में फिर हासिल किया पुराना रूतबा, राहुल गांधी के खिलाफ फिर लड़ सकती हैं चुनाव

लखनऊ/अमेठी : भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज अमेठी के दौरे पर हैं. भले अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जीत कर आते हों, लेकिन यह भाजपा के लिए स्मृति ईरानी की सीट है, जहां पर प्रतिकात्मक ढंग से उन्हें राहुल गांधी व कांग्रेस के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2017 3:06 PM

लखनऊ/अमेठी : भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज अमेठी के दौरे पर हैं. भले अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जीत कर आते हों, लेकिन यह भाजपा के लिए स्मृति ईरानी की सीट है, जहां पर प्रतिकात्मक ढंग से उन्हें राहुल गांधी व कांग्रेस के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़नी है और नेहरू-गांधी परिवार के आभामंडल को लगातार कम करना है. स्मृति ईरानी ने आज अमेठी में जिस आत्मविश्वासवदबदबे के साथ भाजपा अध्यक्ष अमितशाह एवंमुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथ के साथ मंच साझा किया उसमेंयह बेहद ठोस संकेतछिपेहुए थे कि स्मृति ईरानी ही 2019केलोकसभा चुनाव मेंराहुलगांधी के खिलाफ लड़ेंगी. स्मृति ईरानी ने कहा भी है कि उनके तथा भाजपा नेताओं के लगातार दौरों की वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का अमेठी में आना-जाना बढ़ा है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आज कहा कि राहुल किसानों को राहत देने की बात करते हैं लेकिन उन्होंने अमेठी में राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा लीगयी किसानों की भूमि नहीं लौटायी.

राहुल पर दबाव की नीति

स्मृति ईरानी कल ही अमेठी पहुंच गयी थीं और उन्होंने कहा था कि वे अमेठी का इतना ज्यादा दौरा करेंगी की यहां की जनता राहुल गांधी को भी पहले के मुकाबले ज्यादा वक्त तक अपने बीच पाएगी. उन्होंने यह दावा किया कि राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह तीन दिन का अमेठी दौरा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे को देखते हुए ही तय किया था.

चुनावी परिदृश्य

स्मृति ईरानी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी में कड़ी टक्कर दी थी. 2009 के चुनाव में राहुल गांधी जहां इस सीट से 3.70 लाख वोटों से जीते थे, वहीं 2014 में वे अपने परिवार की इस परंपरागत सीट से स्मृति ईरानी को मात्र 1.07 लाख वोटों से हरा सके. राहुल के वोटों में इस बार सीधे 25 प्रतिशत का ह्रास हुआ. इस हार के बाद भी स्मृति का इस क्षेत्र में लगातार आना-जाना लगा रहा और वे यहां के सवालों को ऐसे उठाती रहीं, जैसे यहां की चुनी हुई सांसद हों. उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए भी प्रयास किये. हाल में कांग्रेस के एक पूर्व विधायक एवं 70 ग्राम प्रधान भाजपा में शामिल हुए. इससे भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा है. उस पर अब राज्य में भाजपा की सरकार भी है.इसीसाल संपन्न हुएउत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावमेंभाजपा ने अमेठीकी छह विधानसभा सीटों में पांच पर जीत दर्ज की.सिर्फ गौरीगंजसीटकांग्रेस जीत पायी,जबकि तिलोई, सेलोन, जगदीशपुरऔर अमेठी पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया. इन कारणों से पार्टी की उम्मीदें इस सीट से 2009 के लोकसभा चुनाव का लेकर बढ़ी हैं.

कैबिनेट में फिर बढ़ा कद

नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीतने के बाद आश्चर्यजनक रूप में अल्प प्रशासनिक अनुभव वाली स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय सौंपा था. प्रधानमंत्री ने इस फैसले से आलोचकों ही नहीं भाजपा के अंदर भी कई नेताओं को आश्चर्यचकित कर दिया. हालांकि बाद में स्मृति ईरानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से हटा कर अपेक्षाकृत अल्प महत्व के कपड़ा मंत्रालय में भेज दिया. इसे स्मृति ईरानी का कद छोटा करना माना गया. हालांकि वेंकैया नायडू को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद सूचना प्रसारण जैसे अहम मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार स्मृति ईरानी को सौंपा गया. इस व्यवस्था को फौरी माना गया, लेकिन पिछले महीने तीन सितंबर को हुए कैबिनेट विस्तार में उम्मीदों के विपरीत इस मंत्रालय में किसी नये शख्स को नहीं भेजा गया, बल्कि इसे स्मृति के ही पास रहने दिया गया. इससे यह स्पष्ट हो गया कि स्मृति ईरानी अब स्थायी सूचना प्रसारण मंत्री हैं. यानी कैबिनेट में भी स्मृति ने अपना पुराना प्रभाव पा लिया.

माना जाता है कि उन पर प्रधानमंत्री का भरोसा अब भी बहाल है. पिछले दिनों स्मृति ईरानी की अगुवाई वाले कपड़ा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकरी के एक बड़े प्रकल्प का काम पूरा किया, जिसका उदघाटन करने खुद मोदी पहुंचे थे और उन्होंने तब स्मृति की तारीफ की थी.

राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी-अमित शाह के गृहप्रदेश गुजरात में खुद को क्यों झोंक दिया है?

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