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UP : अलीगढ़ के फुटपाथ पर रहने वाली इस ‘मां’ का दर्द जानकर हैरान हो जायेंगे आप, पढ़ें

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना अलीगढ़ : कहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा दुख होता है, मां-बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा. कुछ लोग यह भी कहते हैं, मां के लिए सबसे बड़ा दर्द होता है, उसकी आंखों के सामने से उसके बच्चों का गायब हो जाना. जी हां, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ […]

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना

अलीगढ़ : कहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा दुख होता है, मां-बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा. कुछ लोग यह भी कहते हैं, मां के लिए सबसे बड़ा दर्द होता है, उसकी आंखों के सामने से उसके बच्चों का गायब हो जाना. जी हां, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के शमशाद मार्केट के फुटपाथ पर एक मां आसमान जैसे छत के भरोसे अपनी ममता के आंचल में तीन बच्चों को पाल रही थी. मां बच्चों के लिए किसी तरह किसी से मांग-चांगकर रोजाना लाती थी और मजबूरी की लोरी सुनाकर उन्हें आसमां के तारों के साथ नींद के आगोश में धकेलने की कोशिश करती थी. फुटपाथ पर रहने वाली इस मां के लिए बच्चे रिमझिम बरसात थे, मां इनके लिए गीली शाम थी. फुटपाथ की रोशनी में मां की प्यारी सूरत बच्चों के लिए ममता का बड़ा आशियाना था. जिसमें वह मां के अथाह प्यार भरे आंचल में स्नेह की डुबकी लगाते थे. शायद यह जमाने को मंजूर नहीं था.

फुटपाथ पर जीवन गुजारने वाली माता का नाम मीना देवी है. उम्र 34 वर्ष के आस-पास. स्थानीय लोगों के सहयोग से भरण-पोषण. पति का नाम-कन्हैया. मजदूरी के दौरान कई महीनों से गायब. परिवार का मूल निवास- छोटी कशेर, थाना डिवाई, जनपद बुलंदशहर. वर्तमान का निवास है, अलीगढ़ के शमशाद मार्केट का फुटपाथ. मीना देवी को दो लड़का और एक लड़की. बड़े बेटे की उम्र 10 वर्ष. काम- बिरयानी के ठेले पर मजदूरी. दूसरे नंबर बेटी, जिसका नाम काजल, उम्र-आठ साल, कोई उठाकर ले गया. सबसे छोटे बेटे का नाम विकास, पता-कोई उठाकर ले गया. मजबूरी और मुफलिसी की मारी इस मां पर ईश्वर ने एक और कहर बरपाया और चार महीने पहले रात के वक्त मीना देवी के बेटे को कोई उठाकर ले गया. मीना देवी अपने बच्चों को खोजने के लिए पागलों की तरह आस-पास के रेहड़ी लगाने वालों से गुहार लगाने लगी. सभी ने बस सांत्वना दी, लेकिन मदद किसी ने नहीं की.

दोबारा मीना देवी की जिंदगी फिर से फुटपाथ पर चलने लगी. दस दिन पहले फिर किसी हैवान की नजर मीना देवी की आठ साल की बेटी पर पड़ी, वह अपनी मां के साथ लिपटकर सो रही थी. किसी ने मां की छाती से उसकी बेटी को खींचा और लेकर चला गया. मीना देवी फिर तड़पी, उन्होंने अलीगढ़ के जर्रे-जर्रे से गुहार लगायी, लेकिन दर्द किसी ने नहीं सुना. मीना देवी के दर्द पर किसी टीवी पर प्राइम टाइम नहीं चला. कोई चोंगे(टीवीचैनल माइक) वाला मीना देवी का दर्द पूछने नहीं आया. मीना देवी के लिए सारी कायनात, पूरा सिस्टम और लोक कल्याणकारी राज्य, बस और बस तमाशबीन बना रहा. वह पागलों की तरह बस चीखती रही.

शुक्रवार को एक संवेदनशीलपुलिस पदाधिकारी राजेश पांडेय के सरकारी ड्राइवर मो. हनीफ ने उन्हें बताया कि शमशाद मार्केट में फुटपाथ पर रहने वाली एक महिला के दो बच्चे चोरी कर लिए गये हैं, उसकी कोई मदद नहीं कर रहा है. राजेश पांडेय ने काफी प्रयास किये और दो प्रयास के बाद आखिरकार मीना देवी शाम को 8:00 बजे फुटपाथ पर सोती मिली. फुटपाथ पर अशोक के पेड़ की डाल पर धागे में लटकाई हुई अपनी बेटी काजल की पासपोर्ट साइज की फोटो दिखा कर रोने लगी और कहने लगी “मैंने फोटो भी टांग दी” फिर भी कोई नहीं बता रहा है. राजेश लिखते हैं कि उसकी यह व्यथा, पीड़ा, गुस्सा और बेबसी देखकर थोड़ी देर के लिए मैं भी संज्ञा शून्य हो गया. आस-पास लगी लोगों की भीड़ में सभी शांत थे. थाना सिविल लाइन के प्रभारी निरीक्षक को बुलाकर तुरंत मुकदमा कायम कराया गया, टीम बनवायी और बच्चों के बरामदगी का प्रयास किया जा रहा है. राजेश पांडेय ने लिखा है – उसकी किसी ने नहीं सुनी क्योंकि वह गरीबी रेखा के अंतिम पायदान पर है. मेरे समाज ने उसे सामाजिक संरचना में कोई स्थान नहीं दिया.

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