लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर पद्मावती फिल्म पर सती प्रथा को महिमांडित करने का आरोप लगाया गया है. याचिका पर कल सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि याची अपनी बात सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील के माध्यम से रख सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की पीठ ने कामता प्रसाद सिंघल की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया.
याची के अधिवक्ता विरेंद्र मिश्रा के मुताबिक याचिका में कहा गया था कि फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत पर आधारित है जिसके अंत में रानी पद्मावती सती हो जाती हैं. अधिवक्ता के अनुसार याचिका में कहा गया है कि इस बात को फिल्म में दिखाना सती प्रथा को बढावा देना माना जाना चाहिए। सती प्रथा को किसी भी प्रकार से महिमामंडित करना सती प्रथा निवारण अधिनियम के विरद्ध है और ऐसा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. लिहाजा ऐसी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए. अदालत ने हालांकि कहा कि याची सिनेमेटोग्राफी एक्ट के प्रावधानों के तहत सेंसर बोर्ड के निर्णय के विरद्ध सक्षम प्राधिकारी के समक्ष जा सकता है.
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