लखनऊ : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भारतीय न्यायपालिका को विश्व की सबसे मजबूत, स्वतंत्र एवं पारदर्शी न्याय प्रणालियों में से एक बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इस न्यायपालिका में जनता का विश्वास दूसरी संवैधानिक संस्थाओं से कहीं ज्यादा बना हुआ है.
नकवी ने यहां विश्व के मुख्य न्यायाधीशों तथा न्यायाधीशों के 18वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, भारत में न्यायपालिका बिना किसी हस्तक्षेप, दबाव और भेदभाव के अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करती है. उन्होंने कहा, भारतीय न्यायपालिका में जनता का विश्वास दूसरी संवैधानिक संस्थाओं से कहीं ज्यादा बना हुआ है, क्योंकि भारतीय न्यायप्रणाली की नजर में देश का हर नागरिक एक समान है, चाहे वह किसी भी धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र, जाति या वर्ग का हो, अमीर हो या गरीब हो.
नकवी ने कहा कि यह भारतीय न्यायपालिका की खूबी और मजबूती ही है कि समय-समय पर न्यायप्रणाली में बदलाव और सुधार की आवाज कहीं दूसरी जगह से नहीं बल्कि न्यायपालिका के भीतर से ही उठती है. इन सब बातों के चलते भारत की न्यायपालिका पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के कई बड़े भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने और उन पर कड़ी कार्रवाई करने के संबंध में देश की न्यायपालिका और विशेषकर उच्चतम न्यायालय ने बड़ी महत्वपूर्ण एवं सराहनीय भूमिका निभायी है. इसके अलावा देश की न्यायपालिका ने समाज से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर भी अहम भूमिका निभायी है. उन्होंने कहा कि विभिन्न अदालतों में कई वर्षों से लंबित मामले चिंता का विषय हैं, लेकिन केंद्र सरकार एवं न्यायपालिका इस मुद्दे पर तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि आम जनता को न्याय जल्दी और सरलता से मिल सके.
केंद्र सरकार लंबित मामलों के निबटारे एवं अन्य सुधारों के संबंध में न्यायपालिका को हर संभव सहयोग करने को तैयार है. इस संबंध में जल्द बड़ न्यायिक सुधार की जरूरत है. न्यायिक सुधार की दिशा में हमारी सरकार ने कई कदम उठाये हैं. कई और बड़े कदम उठाये जाने की जरूरत है. नकवी ने कहा कि केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अभी तक लगभग 1200 गैर-जरूरी कानूनों को खत्म किया है और लगभग अन्य 1024 गैर-जररी कानूनों को खत्म करने के लिए चिह्नित किया है, जो जल्द खत्म होंगे. यह जरूरी है कि नये कानूनों को बनाने के साथ पुराने-अप्रासंगिक एवं गैर-जरूरी कानूनों को खत्म किया जाये. उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था ने ईमानदारी से लोगों में विश्वास कायम किया है. इस विश्वास को और मजबूत बनाना है.
नकवी ने कहा कि आज देश की अदालतें तेजी से डिजिटल हो रही हैं. कागज रहित प्रणाली कई बातों को आसान बनायेगी. उन्होंने कहा कि इस वर्ष के मुख्य न्यायाधीशों तथा न्यायाधीशों के सम्मेलन का जोर विश्वभर के बच्चों के सुरक्षित वर्तमान और बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा कि भारत में बाल अधिकारों के संरक्षण, लोकतांत्रिक मूल्यों एवं चुनौतियों से संबंधित मजबूत कानून हैं.
नकवी ने कहा कि आज आतंकवाद-कट्टरवाद पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है और इस चुनौती से निबटने में भी न्यायपालिकाएं बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इस सम्मेलन में 60 देशों के लगभग 200 मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायाधीशों ने भाग लिया. भारत के अलावा अमेरिका, अफगानिस्तान, अर्जेंटीना, ब्राजील, क्रोएशिया, मिस्र, ईरान, नेपाल, म्यामां, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, जिम्बाब्वे आदि देशों के मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों एवं कानूनी क्षेत्र के अन्य दिग्गज इस सम्मेलन में शामिल हुए.