लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि भारत ने मानव कल्याण के लिए हमेशा शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा को अपना कर सभी को स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुलभ कराने, वर्तमान में विश्व भर में व्याप्त अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, परमाणु हथियारों के भंडार, राष्ट्रों एवं नागरिकों के बीच मतभेद जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. इसके लिए विश्व के सभी राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना होगा और अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान मध्यस्थता से तलाशने का प्रयास करना होगा.
मुख्यमंत्री आज यहां सिटी मॉण्टेसरी स्कूल में आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 18वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे. मुख्यमंत्री ने न्यायाधीशों का स्वागत करते हुए कहा कि आबादी के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. बच्चों, महिलाओं एवं भावी पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण और शांतिपूर्ण माहौल उपलब्ध कराना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है.
योगी ने कहा कि राज्य सरकार बेहतर कानून-व्यवस्था के साथ-साथ आधुनिक न्याय प्रणाली के लिए पूरी संजीदगी से प्रयास कर रही है और इसी के तहत विधि आयोग का गठन किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश सरकार ने न्याय व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं. महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम के मद्देनजर ऐसे प्रकरणों के निस्तारण के लिये 100 अतिरिक्त विशेष अदालतें गठित की जा रही हैं. साथ ही निचली अदालतों में लगभग ढाई लाख से अधिक वैवाहिक समस्याओं के लंबित विवादों को ध्यान में रखते हुए सभी जनपदों में पहले से मौजूद फैमिली कोर्ट के अलावा 111 अतिरिक्त फैमिली कोर्ट भी स्थापित किये जा रहे हैं.
सम्मेलन में गयाना गणराज्य के उप-राष्ट्रपति खेमराज रामजतन, तुवालू के गवर्नर जनरल इकोबा टी. इटालेली, क्रोशिया गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपति स्तेपान मैसिक, लिसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. पकलिथा बिथुएल मोसीसिली, मॉरिशस गणराज्य की राष्ट्रीय संसद की स्पीकर शांतीबाई हनुमानजी, घाना गणराज्य की राष्ट्रीय संसद के स्पीकर प्रोफेसर आरो माइकल ओक्वायो, श्रीलंका के सबरागामूवा प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री महीपाल हर्थ, नीदरलैंड के इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के न्यायाधीश इबोई-आसुजी एवं एंटोनी केसीया-एमबी माइंडुआ सहित विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश तथा कानूनविदों ने हिस्सा लिया.