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उत्तर प्रदेश में प्रदूषण से निबटने के लिए अब होगी कृत्रिम बारिश, कानपुर आइआइटी ने की तैयारी, पढ़ें

लखनऊ : उत्तर प्रदेश को वायु प्रदूषण से बचाने के लिये आइआइटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनायी है और प्रदेश में पहली बार इस तरह की प्रक्रिया के लिए राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिल गयी है. अब इंतजार केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय से मंजूरी मिलने का है. […]

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश को वायु प्रदूषण से बचाने के लिये आइआइटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनायी है और प्रदेश में पहली बार इस तरह की प्रक्रिया के लिए राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिल गयी है. अब इंतजार केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय से मंजूरी मिलने का है. गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 नवंबर को प्रदेश के अधिकारियों से कहा था कि लखनऊ में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आईआईटी कानपुर की मदद से कृत्रिम बरसात के लिए नई तकनीक की दिशा में काम किया जाये. आइआइटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक और परियोजना प्रभारी प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, इस संबंध में शासन के अधिकारियों के साथ चर्चा चल रही है.

उत्तर प्रदेश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद से कुछ समय पहले आइआइटी कानपुर को कृत्रिम बारिश कराने के प्रोजेक्ट का काम मिला था। इस परियोजना पर संस्थान के एयरोस्पेस, सिविल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट इंजीनियरिंग आदि विभागों ने मिलकर काम किया. उन्होंने बताया कि परियोजना के लिए आइआइटी को 15 लाख रुपये की सहायता भी मिली.

उन्होंने बताया, करीब एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिये आइआइटी से कृत्रिम बारिश की तैयारियां करने को कहा है. प्रो अग्रवाल के मुताबिक, करीब एक साल पहले प्रदेश सरकार से क्लाउड-सीडिंग का प्रोजेक्ट मिला था. उस परियोजना पर आइआइटी लगातार काम कर रहा है. अब प्रदेश सरकार चाहती है कि इसे अमली जामा पहनाया जाये ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आइआइटी को प्रदेश सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से इजाजत मिल गयी है. अब इतंजार केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय से मंजूरी मिलने का है जिसके लिये आवेदन किया गया है. इसके अलावा आसमान में कब बादल हैं तथा वातावरण की अनुकूलता क्या है इस पर भी कृत्रिम बारिश करवाना निर्भर करेगा. आइआइटी इस क्षेत्र में लंबे समय से शोध कर रहा है और अब वह इसके लिए तैयार है.

प्रो अग्रवाल कहते हैं कि प्रदेश में पहली बार कृत्रिम बारिश कराने में थोडा ज्यादा खर्च आयेगा। कितना खर्च आयेगा इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है लेकिन उपयोग बढने के साथ खर्च कम होगा. क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया में एक विमान की जरूरत होती है , जो आईआईटी के पास उपलब्ध है. आईआईटी के पास विमान में लगने वाले सभी उपकरण मौजूद हैं. प्रक्रिया में यह विमान आकाश में बादलों के ऊपर जाकर विशेष रसायनों तथा सामान्य नमक का छिडकाव करता है. इससे बादलों में मौजूद नमी बूंदों का रूप लेकर तेजी से नीचे आती है और कृत्रिम बारिश हो जाती है. अग्रवाल के अनुसार नागर विमानन मंत्रालय की मंजूरी के बाद बादलों वाली जगह पर कृत्रिम बारिश करायी जा सकती है और इससे वायु प्रदूषण में निश्चित ही काफी कमी आयेगी.

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