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निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली पर अंकुश के लिए प्रस्ताव तैयार, योगी सरकार ने मांगी जनता की राय

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिये राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा तैयार प्रस्ताव को शुक्रवार को सार्वजनिक कर इस पर 22 दिसंबर तक आम जनता से राय मांगी गयी है. उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव को सार्वजनिक करते हुए कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2017 9:17 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिये राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा तैयार प्रस्ताव को शुक्रवार को सार्वजनिक कर इस पर 22 दिसंबर तक आम जनता से राय मांगी गयी है. उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव को सार्वजनिक करते हुए कहा कि अभी यह केवल एक साधारण मसविदा है और इस पर आम जनता से 22 दिसंबर तक राय देने का आग्रह किया गया है. सुझाव मिलने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जायेगा.

उन्होंने कहा कि मसविदे में प्रस्ताव किया गया है कि त्रैमासिक या अर्द्धवार्षिक शुल्क न लिया जाये. कैपिटेशन शुल्क न हो. साथ ही यह व्यवस्था भी हो कि प्रवेश शुल्क हर साल न लिया जाये. कक्षा पांच तक पढ़ने के बाद छठी में प्रवेश लेने पर ही यह शुल्क लिया जाये. इसी तरह नौवीं और 11वीं कक्षा में ही दाखिला लेने पर या तीन चरणों में ही प्रवेश शुल्क लिया जाये. यह प्रस्ताव सभी आईसीएसई, सीबीएसई और यूपी बोर्ड तथा इन संस्थाओं से संबद्ध अल्पसंख्यक संस्थानों समेत उन सभी स्कूलों पर लागू होगा, जिनकी वार्षिक फीस 20 हजार रुपये से ज्यादा है.

प्रस्ताव के मुताबिक, अब स्कूल एक्टिविटी फीस के नाम पर सिर्फ उन्हीं छात्रों से वसूली कर सकेंगे, जो उन सुविधाओं का उपयोग करेंगे. इसके अलावा कोई भी स्कूल हर साल तत्कालीन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पांच प्रतिशत जोड़ने से आयी राशि से ज्यादा शुल्क वृद्धि नहीं कर सकेंगे. किसी भी छात्र को किसी खास दुकान से किताबें, जूते, मोजे इत्यादि खरीदने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकेगा.

हर मान्यता प्राप्त स्कूल का शैक्षिक प्रधान शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले सक्षम प्राधिकारी के सामने अगले शैक्षिक सत्र में विद्यार्थियों से ली जानेवाली फीस का पूरा विवरण पेश करेगा. हर स्कूल को आगामी सत्र के शुल्क का विवरण चालू सत्र में 31 दिसंबर तक अपनी वेबसाइट तथा नोटिस बोर्ड पर लगाना होगा.

प्रस्ताव के अनुसार अधिनियम बनने पर पहली बार इसका उल्लंघन करनेवाले स्कूलों पर एक लाख रुपये तथा दूसरी बार उल्लंघन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा. तीसरी बार उल्लंघन करने पर स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जायेगी.

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