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पब्लिक फ्रेंडली पुलिस के लिए आम जनता कर सकती है इंटेलिजेंस का काम : सीएम योगी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि पुलिस बलों को आम जनता का विश्वास प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए, क्योंकि पब्लिक फ्रेंडली पुलिस के लिए आम जनता प्रभावी इंटेलिजेंस का काम कर सकती है. योगी ने यहां तृतीय उत्तर क्षेत्रीय पुलिस समन्वय समिति की बैठक के उद्घाटन सत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2017 10:44 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि पुलिस बलों को आम जनता का विश्वास प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए, क्योंकि पब्लिक फ्रेंडली पुलिस के लिए आम जनता प्रभावी इंटेलिजेंस का काम कर सकती है. योगी ने यहां तृतीय उत्तर क्षेत्रीय पुलिस समन्वय समिति की बैठक के उद्घाटन सत्र में कहा, पुलिस बलों को आम जनता का विश्वास प्राप्त करने के लिए काम करने की आवश्यकता है. जनसामान्य प्रभावी इंटेलीजेन्स (सूचना तंत्र) का काम कर सकता है.

सीएम योगी ने कहा कि ऐसी अनेक घटनाएं प्रकाश में आती हैं, जब पुलिस सूचना देने वाले को ही प्रताड़ित करती है. इससे जनता के साथ विश्वनीयता का संवाद बाधित होता है. पुलिस और आमजन में बेहतर संवाद से अपराधों पर नियंत्रण में सहायता मिल सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर पुलिस प्रशासन के लिए पुलिस बलों के बीच समन्वय आवश्यक है. पुसिल बलों के परस्पर समन्वय से काम करने पर अपराधों पर नियंत्रण के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भी अच्छे परिणाम सामने आयेंगे. केंद्रीय पुलिसबलों और राज्य पुलिसबलों के मिलकर प्रयास करने से आतंकवाद और अलगाववाद से निपटना आसान हो जायेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी काफी अधिक है. यहां सामाजिक और भौगोलिक विविधता है. विभिन्न राज्यों की सीमाओं के साथ ही नेपाल देश की सीमा भी प्रदेश से जुड़ी हुई है. इस कारण यहां की पुलिस के सामने कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण की बड़ी चुनौतियां हैं. साथ ही साधन भी सीमित हैं. उन्होंने कहा कि प्राय: ऐसी ही चुनौतियां अन्य राज्यों के साथ भी हैं. ऐसे में बेहतर समन्वय तंत्र की आवश्यकता लगातार महसूस की जाती है. संसाधनों के अभाव के बावजूद आधुनिक तकनीक को अपनाकर अपराध और अपराधियों के विरुद्ध अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं.

योगी ने कहा कि राज्य सरकार का अनुभव है कि प्रदेश में संगठित अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई होने पर उन्हें पड़ोसी राज्यों अथवा नेपाल में संरक्षण प्राप्त हो जाता है. यदि एक प्रभावशाली तंत्र बनाकर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाये तो संगठित अपराधों के साथ-साथ महिलाओं के प्रति अपराध, आतंकवाद, नक्सलवाद आदि के विरद्ध भी प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समन्वय बैठक पुलिसबलों को पारस्परिक विचारों के आदान-प्रदान अवसर प्रदान करने के साथ ही उनको अपने अनुभवों और सफलता को परस्पर साझा करने का मंच भी प्रदान कर रही है, जो पुलिसबलों को अपने यहां विभिन्न घटनाओं और मामलों से निपटने में सहायक होगी. उन्होंने कहा कि अधिकतर अपराधों की पृष्ठभूमि में भूमि संबंधी मामले होते हैं. एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स के माध्यम से राज्य सरकार ने ऐसे डेढ़ लाख से भी अधिक मामले चिह्नित किये हैं, जिससे अपराध नियंत्रण में सहायता मिली है.

उल्लेखनीय है कि देश की सुरक्षा और संरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में पुलिसबलों के मध्य प्रभावी समन्वय स्थापित करने हेतु पांच क्षेत्रीय समितियों के गठन का सुझाव दिया था. उत्तर प्रदेश अन्य सात राज्यों, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ तथा दिल्ली राज्याकेंद्रशासित प्रदेश के साथ उत्तर क्षेत्रीय पुलिस समन्वय समिति का सदस्य है.

इस बैठक से पूर्व इस समिति की दिल्ली और शिमला में बैठकें हो चुकी हैं. इस अवसर पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक ओपी सिंह, जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह, महानिदेशक (तकनीकी सेवाएं) महेंद्र मोदी, उत्तराखंड के अपर पुलिस महानिदेशक आर एस मीना सहित विभिन्न राज्यों एवं केंद्रीय बलों और एजेंसी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित थे.

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