नोएडा : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज नोएडा पहुंचकर इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया कि सूबे का जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है. इस बाबत जब उनसे पूछा गया तो आदित्यनाथ ने कहा कि वह नोएडा आते रहेंगे. सबसे पहले यह बात चर्चा में उस समय आयी जब 1982 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह नोएडा में वीवी गिरी श्रम संस्थान का उद्घाटन करने आए थे.
उसके बाद वह मुख्यमंत्री पद से हट गये. वर्ष 1988 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह फिल्म सिटी स्थित एक स्टूडियो में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने आये. वहां से उन्होंने कालिंदी कुंज पार्क का उद्घाटन किया था. उसके कुछ माह बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हट गये.
वीर बहादुर सिंह के सीएम पद से हटने के बाद नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री बने. वह भी नोएडा के सेक्टर 12 स्थित नेहरु पार्क का उद्घाटन करने वर्ष 1989 में आये. उसके कुछ समय बाद वह भी मुख्यमंत्री पद से हट गये.
वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नोएडा के सेक्टर 40 स्थित खेतान पब्लिक स्कूल का उद्घाटन करने आये. यादव ने मंच से कहा कि मैं इस मिथक को तोड़ कर जाऊंगा कि जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है. उसके कुछ माह बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हट गये.
आलम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री नोएडा आने से भय खाने लगा. वर्ष 2000 में जब डीएनडी फ्लाईओवर का उद्घाटन हुआ तो उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने नोएडा आने के बजाय दिल्ली से ही इसका उद्घाटन किया.
मायावती ने 2008 में इस मिथक को तोड़ा. वह नोएडा में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करने आयीं. उसके बाद वह लगातार चार बार नोएडा आयीं. मायावती के सत्ता से हटने के बाद अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह अपने पूरे कार्यकाल के दौरान इस औद्योगिक शहर में नहीं आये.
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 25 दिसंबर को नोएडा में आने का कार्यक्रम तय हुआ तब से ही इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि क्या सीएम योगी नोएडा आयेंगे. आज उन्होंने नोएडा आकर इस भ्रम को भी तोड़ दिया.