नयी दिल्ली : भगवान राम के बारे में विस्तार से जानना है, तो नये साल में चलिये लखनऊ. कुंभ स्नान तो कर ही पायेंगे, यहां भगवान राम की गीवनगाथा का जीवंत रूप भी आप देख पायेंगे. सीता की रसोई में भोजन करने का अवसर भी मिलेगा. जी हां. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है. योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 6 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन (इंटरनेशनल रामायण कॉनक्लेव) का आयोजन किया है. बताया गया है कि ‘राम सेतु’ और ‘सीता रसोई’ इस आयोजन के दो अन्य मुख्य आकर्षण होंगे. यह भी बताया गया है कि ‘राम सेतु’ इस कॉनक्लेव के टैब्लो का भी हिस्सा होगा.
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दरअसल, भाजपा शासित राज्य में 14 से 19 जनवरी, 2018 तक आयोजित होने वाले इस इंटरनेशनल रामायण कॉनक्लेव में अयोध्या स्थित ‘सीता रसोई’ का प्रारूप लोग लखनऊ में बनाया जायेगा. असल में यह एक फूड कोर्ट होगा, जिसमें लोग अलग-अलग पकवान का लुत्फ उठा सकेंगे. सम्मेलन के दौरान इंडोनेशिया, श्रीलंका, कंबोडिया, त्रिनिदाद और थाईलैंड के इंटरनेशनल थियेटर आर्टिस्ट लोगों का मनोरंजन करेंगे. अयोध्या, मथुरा, ओड़िशा और केरल के भारतीय कलाकार भी इनके साथ प्रस्तुति देंगे.
सूत्रों के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ की सरकार एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की मदद से भव्य आयोजन की तैयारी कर रही है. आयोजन स्थल पर ‘राम बाजार’ भी लगेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के अलावा भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग धर्म, संस्कृति, योग एवं अध्यात्म से जुड़ी चीजों की खरीदारी कर सकेंगे. ‘सीता रसोई’ और ‘सबरी फूड’ के नाम से दो फूड कोर्ट बनाये जायेंगे, जिसमें हर दिन करीब 1,000 अतिथियों को पारंपरिक शाकाहारी एवं लजीज व्यंजन परोसे जायेंगे.
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कॉनक्लेव के दौरान सीता स्वयंवर, सीता हरण, राम सेतु का निर्माण, राम-रावण युद्ध और राम के राज्याभिषेक जैसे रामायण की अहम घटनाअों का चित्रण किया जायेगा. सम्मेलन स्थल पर 7-8 फीट की भगवान हनुमान की प्रतिमा के अलावा सोने के हिरण की तलाश में भटकते भगवान राम की प्रतिमा लगेगी. इतना ही नहीं, भगवा राम को सबरी द्वारा बेर खिलाने, भरत द्वारा भगवान राम की चरण पादुका ले जाने, कुंभकर्ण से युद्ध, बालि और सुग्रीव के बीच युद्ध के दृश्यों को जीवंत किया जायेगा. कार्यक्रम स्थल पर निरंतर लोग रामायण की चौपाई सुन सकेंगे.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि भारत के सबसे पुराने पौराणिक ग्रंथ रामायण का हर भारतीय भाषा में अनुवाद हुआ है. अंग्रेजी के साथ-साथ कई यूरोपीय भाषाअों में भी इसका अनुवाद हुआ है. कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण एशियाई देशों में रामायण काफी प्रचलित है. इसलिए ऐसे आयोजन उन देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूती प्रदान करेंगे, जहां-जहां रामायण एवं भगवान राम के अवशेष मिले हैं.