लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब धार्मिक स्थलों-आयोजनों, जुलूस-जलसों में अब प्रशासन की इजाजत के बगैर लाउडस्पीकर बजाने पर जेल की हवा खानी पड़ सकती है. साथ ही आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. इलाहाबाद के निर्देश के बाद सरकार के आदेश पर गृह विभाग ने राज्य के सभी जिलों के अधिकारियों को 20 जनवरी तक बिना इजाजत बजाये जा रहे लाउडस्पीकरों को उतारने की कार्रवाई शुरू कर दी है. साथ ही कहा गया है कि आदेश का उल्लंघन करनेवालों को पांच साल की जेल या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है.
हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में गृह विभाग ने यह भी कहा है कि इस आदेश की अवज्ञा करनेवाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जायेगी. मालूम हो कि इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक फरवरी, 2018 को गृह सचिव को मामले में रिपोर्ट पेश करना है. हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में गृह सचिव अरविंद कुमार ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और आरक्षी अधीक्षकों को एक टीम बना कर लाउडस्पीकर बजाये जा रहे स्थानों को चिह्नित कर तय प्रारूप के मुताबिक इजाजत दें. इजाजत नहीं लेनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. मालूम हो कि इलाहाबाद हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश मोतीलाल यादव की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है.
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से किया जवाब तलब
ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के पालन के लिए सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाये हैं?
क्या राज्य में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर बजाने के लिए उचित प्राधिकार से अनुमति ली गयी है? अगर नहीं, तो क्या कार्रवाई की गयी?
अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ सरकार ने क्या कार्रवाई की?
सार्वजनिक और निजी स्थानों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा तय
रिहाइशी इलाके
6 बजे सुबह से 10 बजे रात तक : 55 डेसिबल
10 बजे रात से 6 बजे सुबह तक : 45 डेसिबल
कमर्शियल एरिया
6 बजे सुबह से 10 बजे रात तक : 65 डेसिबल
10 बजे रात से 6 बजे सुबह तक : 55 डेसिबल
औद्योगिक क्षेत्र
6 बजे सुबह से 10 बजे रात तक : 75 डेसिबल
10 बजे रात से 6 बजे सुबह तक : 70 डेसिबल
शांत क्षेत्र
6 बजे सुबह से 10 बजे रात तक : 50 डेसिबल
10 बजे रात से 6 बजे सुबह तक : 40 डेसिबल