IIT कानपुर के हिंदू धर्म ग्रंथों के वेबसाइट का प्रतिदिन 24000 लोग करते हैं विजिट
लखनऊ : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर अब हिंदू धर्म ग्रंथों से संबंधित जानकारी उपलब्ध करानेवाला देश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज बन गया है. आईआईटी कानपुर के आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदू धर्म ग्रंथों की सामग्री टेक्स्ट और ऑडियो के रूप में उपलब्ध करायी गयी है. देश के कई विशेषज्ञों की टीम ने मिल कर हिंदू […]
लखनऊ : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर अब हिंदू धर्म ग्रंथों से संबंधित जानकारी उपलब्ध करानेवाला देश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज बन गया है. आईआईटी कानपुर के आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदू धर्म ग्रंथों की सामग्री टेक्स्ट और ऑडियो के रूप में उपलब्ध करायी गयी है. देश के कई विशेषज्ञों की टीम ने मिल कर हिंदू धर्म ग्रंथों की सामग्री तैयार की है. इसमें श्रीमद् भगवद्गीता, रामचरितमानस, ब्रह्मा सूत्र, श्रीराम मंगल दासजी, उपनिषद, अन्य गीता, वाल्मीकि रामायण और योग सूत्र के अलावा नारद भक्ति सूत्र कॉन्सेप्ट मैप व वेदांता कॉन्सेप्ट मैप शामिल किया गया है. साथ ही नेपाली भाषा में भी सामग्री उपलब्ध करायी गयी है. इन सामग्रियों को आईआईटी कानपुर के आधिकारिक वेबसाइट www.gitasupersite.iitk.ac.inपर पढ़ा-सुना जा सकता है.
कब हुई शुरुआत
आईआईटी कानपुर के इस आधिकारिक वेबसाइट पर अभी हाल ही में उपनिषद को जोड़ा गया है. आईआईटी कानपुर द्वारा हिंदू धर्म ग्रंथों का पाठ पढ़ाने की शुरुआत वर्ष 2001 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी के केंद्रीय मंत्रालय द्वारा 25 लाख रुपये का फंड मिलने पर शुरू किया गया था. आईआईटी कानपुर में हिंदू धर्म ग्रंथों की पढ़ाई पर उपजे विवाद को संस्थान प्रबंधन ने खारिज कर दिया था.
विशेषज्ञों की टीम ने तैयार की सामग्री
हिंदू धर्म ग्रंथों की सामग्री तैयार करने के लिए कई विशेषज्ञों ने अहम योगदान दिया है. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र में पीएचडी किये विशेषज्ञों ने भगवद्गीता का अंगरेजी अनुवाद का ऑडियो तैयार किया है, जबकि संस्कृत जप का अनुवाद स्वामी ब्रह्मानंद ने किया है. तुलसीदास द्वारा अवधी में रचित रामचरित मानस की प्रस्तुति आईआईटी गुवाहाटी के देव अनानंद पाठक ने किया है.
24000 विजिटर आते हैं प्रतिदिन
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का कहना है कि वेबसाइट करीब दस साल पुरानी है. अभी वेबसाइट पर करीब 24,000 विजिटर प्रतिदिन आते हैं और करीब 500-600 विजिटर प्रतिदिन व्हाट्स अप आदि पर सामग्री प्रसारित करते हैं.आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने बताया कि यह एक साधारण वेबसाइट है. यह हमारे पारंपरिक जानकारी को नये प्रारूप में विचार प्रस्तुत कर रहा है. जैसे- भगवद्गीता संस्कृत में है, जिसे आमतौर पर देवनागरी लिपि में यह लिखी गयी है.
Professors at IIT Kanpur say that their 10-years-old website to transliterate shlokas registered a record 24,000 visitors per day against a usual 500-600 visitors per day after the website was circulated on WhatsApp by a user. pic.twitter.com/6U96G30G45
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 11, 2018
It's a simple website. Idea is putting our traditional knowledge on a website under a new format. For instance, Bhagvad Gita is in Sanskrit & usually written in Devanagari Script. It is an old website but gained popularity through WhatsApp: TV Prabhakar, Professor IIT Kanpur pic.twitter.com/u0zKoCI6wO
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 11, 2018