लखनऊ : कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा के बाद एक युवक चंदन गुप्ता की मौत के मामले मेंराज्यपाल राम नाईक की सख्त टिप्पणी के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने आज बड़ीकार्रवाई की है. प्रदेश सरकार ने इस मामले में पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए कासगंज के एसपी सुनील सिंह को हटा दिया है. सुनील सिंह की जगह पीयूष कुमार श्रीवास्तव कासगंज के नये पुलिस कप्तान बनायेगये हैं.
माना जा रहा है कि रविवार शाम सीएम योगी के साथ गृह विभाग और डीजीपी ओपी सिंह के बीच बैठक में इस निर्णय पर मुहर लग गयी थी. मामले में पुलिस की कार्रवाई पर तमाम सवाल खड़े हो रहे थे. वहां के हालात को आसानी से काबू में किया जा सकता था, लेकिन पुलिस प्रशासन एक्शन लेने में नाकाम रहा और इस घटना ने बड़ा रूप ले लिया. लिहाजा राज्य सरकार ने वहां के एसपी सुशील कुमार सिंह को हटाते हुए पीयूष कुमार श्रीवास्तव को जिले का नया कप्तान नियुक्त किया है. जिले में हिंसा को लेकर लापरवाही बरतने के आरोप सुनील सिंह पर लग रहे थे.चर्चा यह भी है कि और कई अधिकारियों पर हिंसा में लापरवाही बरतने पर गाज गिर सकती है. पिछली सरकार में तैनात सुनील सिंह कासगंज में जमे हुए थे. उनका फेसबुक पोस्ट वायरल हुआ था.
इधर, कासगंज सांप्रदायिक हिंसा को लेकर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने कहा कि हिंसा सुनियोजित थी या नहीं इसकी जांच की जा रही है. वहीं कासगंज हिंसा की जांच के लिए एसआईटी बनायीगयी है. जिला स्तर पर आईजी अलीगढ़ ने एसआईटी का गठन किया है. उधर सोमवार को डीएम ने दिवंगत चंदन के परिवार को 20 लाख रुपये का चेक दिया. इस दौरान डीएम को करीब आधे घंटे तक परिवार की मान-मनौव्वल करनी पड़ी.
मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर कासगंज शहर में कथित रूप से आपत्तिजनक नारों को लेकर दो समुदायों के बीच पथराव और फायरिंग में एक युवक की मौत हो गयी थी तथा कुछ अन्य घायल हो गये थे. इस वारदात के बाद शहर में रह-रहकर हिंसक वारदात हुई थीं. मामले में अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
कासगंज में जो भी हुआ, वह किसी को शोभा नहीं देता : राज्यपाल
लखनऊ/कासगंज : उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने गणतंत्र दिवस पर कासगंज में दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प को ‘कलंक’ और शर्मनाक करार देते हुए आज कहा कि मामले में सरकार को और गहराई से जांच करनी चाहिए. राज्यपाल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘कासगंज में जो भी हुआ, वह किसी को शोभा नहीं देता है. किसने शुरुआत की और किसने बाद में जवाब दिया, यह बात तो जांच में बाहर आयेगी, लेकिन निश्चित तौर पर कासगंज में जो भी घटनाएं हुईं वे उत्तर प्रदेश के लिये कलंक हैं. सरकार इसकी जांच कर रही है और इसमें कड़ा से कड़ा रुख अपनाया जाना चाहिए.’
राज्यपाल ने कहा, ‘‘ऐसे लोग जो माहौल को खराब करते हैं, उनकी जितनी निंदा की जाये कम है. मैं चाहता हूं कि सरकार और तफसील में जाकर जांच करे. पिछले आठ नौ-माह के दौरान प्रदेश में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई थी. यह (कासगंज की घटना) हम सब के लिये शर्म की बात है. मैं आशा करता हूं कि ऐसे कदम उठाये जायेंगे कि उत्तर प्रदेश में फिर कभी ऐसे दंगे नहीं हों.’
कासगंज में स्थिति धीरे-धीरे हो रही है सामान्य
इस बीच, कासगंज शहर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. हालांकि अधिकतर बाजार अब भी बंद हैं, लेकिन सड़कों पर लोगों का आवागमन शुरू हो चुका है. बहरहाल, जिला प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को एहतियातन आज रात 10 बजे तक बंद रखा है. पुलिस, पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स की टुकड़ियां शहर में लगातार गश्त कर रही हैं. शहर की सीमाएं अब भी सील हैं. जिलाधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि कासगंज में हालात सामान्य हैं. कल रात एक मकान में आग लगने की घटना का पता चला था, हालांकि आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी थी.
पिछले 36 घंटे के दौरान शहर में नहीं हुई है कोई अप्रिय घटना
मामले के आरोपियों की धरपकड़ जारी है.आरपी सिंह ने बताया कि वारदात में मारे गये युवक के परिवार को आज 20 लाख रुपये का चेक दिया गया. इस दौरान परिजन ने युवक को शहीद का दर्जा दिये जाने की मांग की. जिला प्रशासन ने कहा कि परिवार सरकार को अगर संबंधित मांग-पत्र दे तो उसे शासन के पास भेज दिया जाएगा. हालांकि, अभी तक कोई पत्र नहीं मिला है.
घटना साजिश का नतीजा : कांग्रेस नेता
इस बीच, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने घटना को साजिश का नतीजा बताते हुए इसकी जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से कराने की मांग की. उन्होंने कासगंज की हिंसा को पूरी तरह प्रदेश सरकार की नाकामी करार दिया.
भाजपा का पलटवार, विपक्ष परसाधा निशाना
कासगंज हिंसा को लेकर विपक्ष के निशाने पर आयी प्रदेश की भाजपा सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष ने हमेशा तुष्टीकरण का परिचय दिया. उन्होंने कहा कि सपा के शासनकाल में एक जाति विशेष के लिये ही नौकरियां बनती थीं. धर्म विशेष के लोगों पर मुकदमे नहीं दर्ज होते थे. बसपा ने भी कोई अलग परिचय नहीं दिया. सपा बसपा जब भाजपा सरकार पर उंगली उठाते हैं तो उनकी बाकी की उंगलियां उनकी तरफ ही इशारा करती हैं.
यूपी में कानून नाम की नहीं है कोई चीज : सपा
सपा के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने इस घटना को सरकार के अंदर चल रही ‘उठापटक’ से जुड़े होने का शक जाहिर करते हुए कहा कि इससे साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में सरकार और कानून नाम की चीज नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम के बीच फसाद कराने की साजिश रची गयी है.