गाय में कृषि प्रधान व्यवस्था को आधार देने की क्षमता : योगी

मथुरा : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गौमाता हमारी आस्था का प्रतीक के साथ-साथ उसमें इस कृषि प्रधान देश की आर्थिक व्यवस्था को आधार देने की भी क्षमता है. योगी यहां मथुरा-वृंदावन हासानंद गोचर भूमि ट्रस्ट द्वारा वृंदावन में 28 एकड़ भूमि पर आयोजित ‘महामना गौ ग्राम’ परियोजना की आधारशिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2018 8:00 PM

मथुरा : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गौमाता हमारी आस्था का प्रतीक के साथ-साथ उसमें इस कृषि प्रधान देश की आर्थिक व्यवस्था को आधार देने की भी क्षमता है. योगी यहां मथुरा-वृंदावन हासानंद गोचर भूमि ट्रस्ट द्वारा वृंदावन में 28 एकड़ भूमि पर आयोजित ‘महामना गौ ग्राम’ परियोजना की आधारशिला रखने के लिए आये थे. इस अवसर पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सरकार बनने के बाद से मैं उत्तर प्रदेश में गौ संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कोई ठोस कार्यक्रम प्रारंभ करने के लिए पशुपालन विभाग एवं गौ सेवा आयोग से विचार-विमर्श कर ही रहा था कि हासानंद गोचर भूमि ट्रस्ट ने यह मौका दे दिया.”

उन्होंने कहा, ‘‘जिस प्रकार से ट्रस्ट ने गौ आधारित व्यवस्था के माध्यम से आसपास के 108 गांवों के सर्वांगीण विकास की परिकल्पना की है, सरकार भी उसी प्रकार पहले जिला स्तर पर, फिर विकास खंड स्तर पर, और बाद में हर गांव के स्तर पर गौशालाओं की स्थापना करेगी. जिनके माध्यम से किसान न केवल दूध बेचकर अपना जीवन-यापन करेंगे, बल्कि गाय उनके लिए ऊर्जा का स्रोत भी बनेंगी.” योगी ने कहा, ‘रसोई गैस सिलेंडर के लिए सरकार को अमूल्य धन के रूप में विदेशी मुद्रा देश से बाहर भेजनी पड़ती है. कभी यह गैस सिलेंडर के नाम पर जाता है, तो कभी क्रूड ऑयल के नाम पर. लेकिन, यदि हर गांव में दुग्धशाला हो, तो गाय के गोबर से निकलनेवाले मीथेन गैस का उपयोग ऊर्जा के रूप में करके इस मुद्रा को बचाया जा सकता है.”

उन्होंने बताया, ‘‘सरकार हर किसान को दो-दो गोवंश देकर इस व्यवस्था को लागू करने की योजना बना रही है.” मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सरकार तो आखिर ऐसे गोवंश का संरक्षण करेगी ही, परंतु समाज को भी इनके संवर्धन के लिए आगे आना चाहिए. वर्ष 1935 में मालवीय जी ने 1005 एकड़ भूमि अर्जित कर बड़ी गौशाला का सपना देखा था, जिसके पूरा होने का समय आ गया है. हमें मिल-जुलकर इसके लिए काम करना होगा. भारतीय नस्लों को बचाने के लिए अथक प्रयास करने होंगे. क्योंकि, इन नस्लों के पंचगव्य में जो गुण हैं वह दुनिया की किसी भी अन्य देश अथवा प्रजाति की गायों में नहीं है.”

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