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राज्यसभा चुनाव : उत्तर प्रदेश में भाजपा और बसपा की लड़ाई में असल परीक्षा कांग्रेस की

7 विधायकों को एकजुट रखना कांग्रेस की समस्या नवें सीट के लिए बसपा और भाजपा में है लड़ाई हरीश तिवारी @ प्रभात खबर लखनऊ : प्रदेश में राज्यसभा की खाली हो रही दस सीटों के लिए चुनाव होना है. भाजपा के आठ उम्मीदवार तो सपा का एक उम्मीदवार राज्यसभा में जाना तय है. लेकिन दसवीं […]

7 विधायकों को एकजुट रखना कांग्रेस की समस्या

नवें सीट के लिए बसपा और भाजपा में है लड़ाई

हरीश तिवारी @ प्रभात खबर

लखनऊ : प्रदेश में राज्यसभा की खाली हो रही दस सीटों के लिए चुनाव होना है. भाजपा के आठ उम्मीदवार तो सपा का एक उम्मीदवार राज्यसभा में जाना तय है. लेकिन दसवीं सीट के लिए भाजपा और बसपा के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया है. इस लड़ाई में सबसे ज्यादा मुश्किल कांग्रेस की है. हालांकि कांग्रेस ने बसपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. लेकिन विधायकों को एकजुट रखना कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या है.

कांग्रेस ने शनिवार को राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था. उससे पहले सपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए बसपा को समर्थन देने का फैसला किया था. जबकि राज्य की दो लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में बसपा ने सपा को समर्थन दिया. जिसके कारण राज्य में सभी विपक्षी दल एक जुट हुए.

विधायकों के आंकड़ों के आधार पर सपा का एक सदस्य राज्यसभा तो भाजपा के आठ सदस्य राज्यसभा में जायेंगे. लेकिन असली लड़ाई सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच दसवीं सीट को लेकर है. बसपा ने अपना प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को मैदान में उतार दिया है. जबकि भाजपा ने गाजियाबाद के बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल को उतारा है. वह कांग्रेस के पूर्व नेता अखिलेश दास के रिश्तेदार हैं. अगर पूरा विपक्ष एक जुट हो जाए तो बसपा की सीट आसानी से निकल सकती है.

इस आधार पर सपा के 10 विधायक, बसपा के 19, कांग्रेस के 7 और रालोद का एक विधायक होता है और यह आंकड़ा 37 पहुंच जाता है. लेकिन असली परीक्षा कांग्रेस की है. क्योंकि कांग्रेस का इतिहास राज्यसभा चुनावों में समर्थन देने को लेकर बहुत अच्छा नहीं रहा है. जब 2016 में राज्यसभा के चुनाव हुए थे तो कांग्रेस ने कपिल सिब्बल को उम्मीदवार बनाया था, इसमें कांग्रेस के छह विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन करके वोट किया था और उन विधायकों को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया था.

फिलहाल पार्टी दावा कर रही है कि उसके सभी विधायक बसपा को वोट देंगे, लेकिन शनिवार को विधायकों की वैठक में दो विधायक नदारद थे. हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार राज्यसभा की सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं और हर दल में जोड़-तोड़ जारी है. उम्मीद की जा रही है कि तीन निर्दलीय विधायक भाजपा को अपना समर्थन देंगे. वहीं भाजपा की नजर सपा, बसपा और कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से है. अगर मतदान के दौरान क्रॉस वोटिंग हुई तो पासा पलट भी सकता है. हालांकि एक व्यवसायी के मैदान में उतर जाने के बाद धनबल की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है.

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