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नरेश अग्रवाल राज्यसभा चुनाव में बिगाड़ सकते हैं मायावती का खेल, बेहद नाजुक है विपक्ष का संख्याबल

नयी दिल्ली/लखनऊ : समाजवादी पार्टी छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए नरेश अग्रवाल कल से चर्चा में हैं. उनके चर्चा में आने का कारण है उनके द्वारा राज्यसभा सांसद जया बच्चन पर की गयी अभद्र टिप्पणी. नरेश अग्रवाल देश के बहुत कद्दावर नेता नहीं है, लेकिन वे एक ऐसे राजनेता की छवि जरूर […]

नयी दिल्ली/लखनऊ : समाजवादी पार्टी छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए नरेश अग्रवाल कल से चर्चा में हैं. उनके चर्चा में आने का कारण है उनके द्वारा राज्यसभा सांसद जया बच्चन पर की गयी अभद्र टिप्पणी. नरेश अग्रवाल देश के बहुत कद्दावर नेता नहीं है, लेकिन वे एक ऐसे राजनेता की छवि जरूर रखते हैं जो किसी का काम बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी में उनकी फौरी उपयोगिता उत्तरप्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर है. उत्तरप्रदेश में 10 सीटों पर राज्यसभा चुनाव हो रहा है और भाजपा ने वहांनौ सीटों से अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिये हैं. नरेश अग्रवाल विपक्ष द्वारा खुद की उम्मीदवार तय नहीं किये जाने से नाराज हैं और वे उसे मजा चखाने के मूड में हैं. इसलिए वे हर संभव चुनाव में उलट-फेर करने की कोशिश कर सकते हैं.

नरेश अग्रवाल पर हाल के दिनों में समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी और खास कर वित्तमंत्री अरुण जेटली से नजदीकी बढ़ाने का संदेह था. अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच इस मुद्दे पर बात भी हुई थी और शिवपाल ने कड़वाहट को भुलाते हुए अपनेभतीजे व सपा अध्यक्ष को समझाया था कि नरेश अग्रवाल पार्टी के हित में नहीं हैं. नरेश अग्रवाल मूलत: कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं और मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी में भी रहे हैं.

उन्होंने यूपी में कांग्रेस को तोड़कर1997 में अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी बनायी थी और अपने समर्थक विधायकों के माध्यम से पत्रकारिता से राजनीति में आये राजीव शुक्ला को राज्यसभा भेजने में कामयाब हुए थे. अग्रवाल के पास उस समय पूरे विधायक नहीं थे, लेकिन अग्रवाल व शुक्ला का यह प्रबंधकीय कौशल ही था कि राजीव शुक्ला राज्यसभा पहुंच गये.

नरेश अग्रवाल का यह कौशल ही उन्हें उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक प्रबंधक की छवि दिलाता है. उत्तरप्रदेश में विधानसभा के सामान्य संख्या बल के अनुसार, भाजपा के आठ उम्मीदवार व सपा की एक उम्मीदवार आसानी से चुनावी जीत हासिल करेंगे. और, दिलचस्प मुकाबला दसवीं सीट के लिए होगा, जिस पर भाजपा के उम्मीदवार अनिल अग्रवाल हैं और बसपा के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर हैं. अनिल अग्रवाल गाजियाबाद के कारोबारी हैं.बसपाके पास उत्तरप्रदेश में19 विधायक हैं. उसे राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए दूसरे विपक्षी दलों की 100 प्रतिशत मदद चाहिए होगी.इसमेंएक प्रतिशत भी कमी हार का कारण बन सकता है. कांग्रेस के पास सात विधायक हैं और रालोद के पास एक विधायक है. सपा के पास 47 विधायक हैं और एक सीट को जीतने के लिए उसे 37 विधायकों का वोट चाहिए, यानी उसके पास दस अतिरिक्त वोट बचता है, जिसे उसने बसपा को दिलाने का एलान किया है.

बसपा का गणित यह है कि वह तभी राज्यसभा का एक सीट निकाल सकेगी, जब बसपा-कांग्रेस के सभी एमएलए, सपा के शेष बचे सभी विधायक और रालोद का एक विधायक उसके पक्ष में वोट करे. इसमें एक भी मत इधर-उधर जाना उसके उम्मीदवार के हार का कारण बन जाएगा. नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल सपा से अभी विधायक हैं और उनको अगर माइनस कर दें तो विपक्ष के बसपा उम्मीदवार के पास 36 विधायकों का ही वोट बचता है.

भाजपा के पास अपने आठ उम्मीदवारों की जीत पक्की करने के बाददसवींसीटकेलिए 28 अतिरिक्त एमएलए का वोट बचता है. छोटे दल व निर्दलीय विधायकों की संख्या चार है. इसमें राजा भैया व अमरमणि त्रिपाठी भी शामिल हैं, जिनका झुकाव भाजपा की ओर हो सकता है. भाजपा के लिए और अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करना चुनावी जीत के लिए अहम है और अभी इसमें नरेश अग्रवाल सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी साबित हो सकते हैं. नरेश अग्रवाल अभी तो इस मूड में हैं कि वे अपने दो पुराने पॉलिटिकल बाॅस मायावती व मुलायम-अखिलेश को एक साथ मजा चखा दें.

जया बच्चन पर क्या कहा था नरेश अग्रवाल ने?

नरेश अग्रवाल ने कहा था कि फिल्मों में काम करने वाली व नाचने वाली से उनकी तुलना नहीं की जा सकती और उनसे उन्हें सपा में कमतर माना गया. उनका इशारा जया बच्चन की ओर था, जिन्हें समाजवादी पार्टी ने उनका टिकट काटकर राज्यसभा उम्मीदवार बनाया. जया बच्चन पर निशाना साधते हुएउन्होंने कहा था कि सपा ने उनके 40 साल के राजनीतिक अनुभव को उपेक्षित करके फिल्मों में नाच कर अपनी भूमिका निभाने वालों को टिकट दिया है. अग्रवाल के इस आपत्तिजनक बयान पर भाजपा की कद्दावर नेता व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तुरंत स्टैंड लिया और नरेश अग्रवाल की आलोना की और कहा उनकी यह टिप्पणी अस्वीकार्य है. भाजपा प्रवक्ता संविद पात्रा ने भी डैमेज कंट्रोल के तहत कहा कि पार्टी हर क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का सम्मान करती है.

मुलायम-अखिलेश ने की आलोचना

अबसमाजवादी पार्टीकेअध्यक्षअखिलेश यादव व संरक्षकमुलायमसिंह यादव ने भी नरेश अग्रवाल की आलोचना की है.मुलायमसिंह यादव ने कहाहैकि नरेश अग्रवाल के पार्टी छोड़ कर जाने से कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा. वहीं अखिलेश ने अपने ‘ट्वीट‘ में कहा ‘‘श्रीमती जया बच्चन जी पर की गयी अभद्र टिप्पणी के लिए हम भाजपा के श्री नरेश अग्रवाल के बयान की कड़ी निंदा करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह फिल्म जगत के साथ ही भारत की हर महिला का भी अपमान है. भाजपा अगर सच में नारी का सम्मान करती है तो तत्काल उनके खिलाफ कदम उठाये. महिला आयोग को भी कार्रवाई करनी चाहिए.’

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