14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

माफिया सरगना अबू सलेम की जमीन पर किसने किया कब्जा? …पढ़ें क्या है मामला

आजमगढ़ / लखनऊ : कभी मुंबई में आतंक का पर्याय रहे माफिया सरगना अबू सलेम ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में अपनी जमीन को ‘अवैध कब्जे’ से मुक्त करने के लिए पुलिस से फरियाद की है. हालांकि, पुलिस ने उसके आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इसे बदला लेने का कदम करार दिया है. इस वक्त […]

आजमगढ़ / लखनऊ : कभी मुंबई में आतंक का पर्याय रहे माफिया सरगना अबू सलेम ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में अपनी जमीन को ‘अवैध कब्जे’ से मुक्त करने के लिए पुलिस से फरियाद की है. हालांकि, पुलिस ने उसके आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इसे बदला लेने का कदम करार दिया है. इस वक्त मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद आजमगढ़ के सरायमीर कस्बा स्थित पठान टोला मुहल्ले के मूल निवासी सलेम और उसके भाई अब्दुल कय्यूम अंसारी ने हाल में सरायमीर थाने में प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया है कि उसकी 160 हेक्टेयर जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा करके वहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. पुलिस ने आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि सलेम के भाई अबू हाकिम की दूसरे पक्ष के लोगों से कुछ माह पहले अनबन हो गयी थी. इसी का बदला लेने के लिए सलेम ने आरोप लगाये हैं.

पिछले छह मार्च को दिये गये प्रार्थनापत्र में सलेम ने कहा है कि सरायमीर कस्बे में आराजी संख्या 738/02 की 160 हेक्टेयर जमीन उसके तथा उसके भाइयों के नाम खतौनी में दर्ज थी. उसके परिजन ने 30 मार्च, 2013 को खतौनी की नकल ली थी, तो उसमें उसका तथा उसके भाइयों का नाम दर्ज था, मगर पिछले साल छह नवंबर को जब नकल ली गयी, तो खतौनी में मोहम्मद नफीस, मोहम्मद शौकत, सरवरी, मोहिउद्दीन, अखलाक, अखलाक खां तथा नदीम अख्तर का नाम था. सलेम ने दरख्वास्त में कहा है कि वर्ष 2002 में एक मुकदमे के सिलसिले में पुर्तगाल से भारत में प्रत्यर्पण के बाद से वह लगातार जेल में है. इस दौरान उसने या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने किसी के नाम उस जमीन का कोई बैनामा नहीं किया. इससे जाहिर है कि आरोपियों ने तहसील कार्यालय के कुछ अधिकारियों के साथ साठगांठ करके उस जमीन पर कब्जा कर लिया है और उस पर अवैध निर्माण भी शुरू कर दिया है. ऐसे में मामले की रिपोर्ट दर्ज की जाये.

इस बीच, दूसरे पक्ष के मोहम्मद नफीस का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2000 में उस जमीन का बैनामा कराया था, जिसमें खुद सलेम के बड़े भाई अबू हाकिम गवाह थे. उनका सवाल है, अगर वह उनकी जमीन हड़पते, तो हाकिम गवाही क्यों देते. उस जमीन पर 2001 में निर्माण कार्य कराया गया था. उस पर दुकान भी थी. नफीस ने कहा कि आराजी संख्या 738/02 पर कई भू-खंड थे और सभी कब्जेदार अपनी-अपनी जमीन पर काबिज हैं। जिस जमीन पर कब्जे की बात की जा रही है वह उनके भू-खंड के बगल में स्थित है, उस पर सलेम पक्ष ने निर्माण कार्य करा रखा है। बहरहाल, उन्होंने संबंधित दस्तावेज आज पुलिस को जांच के लिए दे दिये हैं.

इधर, सलेम के भाई अबू हाकिम ने बताया कि सरायमीर कस्बे में हम सभी भाइयों पुश्तैनी जमीन है. नफीस ने आराजी संख्या 738/02 की हमारी पूरी 160 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है. वह अपनी जमीन की पैमाइश करके उसे अलग करें और उसी पर काबिज रहें. इस सवाल पर कि उन्होंने खुद नफीस के बैनामे में गवाही क्यों दी, हाकिम ने कहा कि उन्होंने बगलवाली जमीन पर नफीस की रजिस्ट्री में गवाही दी थी.

सवाल यह है कि जब हमने किसी के नाम बैनामा किया ही नहीं है, तो उस पर नफीस और अन्य लोगों के नाम कैसे दर्ज हो गये. हम पुलिस के सामने अपना पुश्तैनी कागज पेश करेंगे. इस बीच, अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) नरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि सलेम का पत्र सरायमीर थाने को प्राप्त हुआ है. उसमें जो आरोप लगाये गये हैं, वे बिल्कुल बेबुनियाद हैं. जिस जमीन पर कब्जे की बात कही गयी है उसे नफीस और शौकत ने वर्ष 2000 में बैनामा कराया था. उन्होंने कहा कि छानबीन के दौरान यह बात प्रकाश में आयी है कि नफीस और शौकत से डॉन के भाई अबू हाकिम की कुछ माह पहले अनबन हो गयी थी. इसी का बदला लेने के लिए सलेम ने उन पर आरोप लगाये हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें