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बुआ-बबुआ को मिलाने में सूत्रधार बने संजय सेठ, क्या आप जानते हैं…?

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर आैर फूलपुर में हुए उपचुनाव के बाद आये नतीजों ने भाजपा के ही नहीं, देश के धुरंधर राजनीतिक विश्लेषकों की भी नींद उड़ा दी है. इन दोनों संसदीय सीटों के नतीजे आने के बाद सूबे के पूर्व दो मुख्यमंत्रियों मायावती आैर अखिलेश यादव ने आपस में मुलाकात की. […]

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर आैर फूलपुर में हुए उपचुनाव के बाद आये नतीजों ने भाजपा के ही नहीं, देश के धुरंधर राजनीतिक विश्लेषकों की भी नींद उड़ा दी है. इन दोनों संसदीय सीटों के नतीजे आने के बाद सूबे के पूर्व दो मुख्यमंत्रियों मायावती आैर अखिलेश यादव ने आपस में मुलाकात की. इस उपचुनाव के ठीक पहले सपा आैर बसपा ने आपस में गठबंधन का एेलान किया, जिसका सुपरिणाम अब सामने है, मगर सबसे बड़ी बात यह है कि बुआ आैर बबुआ को आपस में मिलाने में संजय सेठ सूत्रधार बने हैं. यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर यह संजय सेठ हैं कौन, जिन्होंने बुआ आैर बबुआ को आपस में मिलाने का इतना बड़ा काम किया.

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दरअसल, संजय सेठ भारत के रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन परिसंघ (क्रेडार्इ) की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष हैं. बुआ आैर बबुआ
की इस मुलाकात के बादसंजय सेठमीडियामें चर्चा में आ गये हैं. संजय सेठ सपा के टिकट पर राज्यसभा के सदस्य भी हैं. गौर करने वाली बात यह भी है कि संजय सेठ क्रेडार्इ इंडिया के पहले प्रतिनिधि हैं जो राज्यसभा पहुंचे हैं.

क्रेडार्इ की इकाई लखनऊ का अध्यक्ष होने के नाते संजय सेठ की उत्तर प्रदेश के बड़े नेताआें आैर नौकरशाहों के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है. शालीमार ग्रुप के प्रमुख होने की वजह से संजय सेठ ने बसपा आैर सपा के कार्यकाल में बड़े ही आवासीय आैर व्यापारिक परियोजनाआें को हासिल किये हैं. मीडिया की खबरों में यह भी बताया जा रहा है कि फिलहाल, तीन सौ करोड़ से भी अधिक लागत से बन रहे सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट जेपी इंटरनेशनल का निर्माण भी यही शालीमार ग्रुप करा रहा है.

मुलायम परिवार के काफी करीबी हैं संजय

मीडिया में आ रही खबरों में यह कहा जा रहा है कि बिल्डर से नेता बने संजय सेठ का सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का काफी करीबी माना जाता है. संजय सेठ की कंपनी शालीमार बिल्डर रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ी है. संजय सेठ को मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव का सबसे अधिक करीबी माना जाता है. प्रतीक यादव भी रियल एस्टेट उद्योग से जुड़े हुए हैं.

राज्यसभा आने के पहले एमएलसी के लिए हुआ था प्रस्ताव

संजय सेठ का समाजवादी पार्टियों से नजदीकियों का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्यसभा में आने के पहले उन्हें मनोनीत कोटे से विधान परिषद भेजने की तैयारी की जा रही थी. नामित विधान परिषद सदस्यों की सूची में इनका नाम शामिल था, लेकिन राज्यपाल राम नार्इक ने नामित विधान परिषद के सदस्यों के कुछ नामों की सूची से संबंधित फाइल उत्तर प्रदेश सरकार के पास वापस भेज दी थी. राज्यपाल की आेर से यह कहते हुए आपत्ति जाहिर की गयी थी कि इन नामों के व्यक्ति नामित एमएलसी बनने के योग्य नहीं हैं.

बसपा के भी करीबी हैं संजय

संजय सेठ अगर समाजवादी पार्टी के करीबी हैं, तो वे बसपा सुप्रीमो मायावती के भी उतने ही खास हैं. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार के पहले जब बसपा की सरकार थी, तो उस दौरान भी संजय सेठ की कंपनी ने अच्छे प्रोजेक्ट हासिल किये थे. डाॅ बीआर अंबेडकर गोमती विहार पार्क, हजरतगंज में एक मल्टी लेवल पार्किंग आैर वृंदावन काॅलोनी में पार्किंग का निर्माण किया था.

उन्नाव के रहने वाले हैं संजय सेठ

बुआ आैर बबुआ को आपस में मिलाने में सूत्रधार बने 55 साल के संजय सेठ दरअसल उन्नाव के रहने वाले हैं. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से काॅमर्स में स्नातक की उपाधि हासिल की है. संजय ने रियल एस्टेट में अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1985 में एसएएस होटल्स एंड प्राॅपर्टीज लिमिटेड नामक कंपनी से की थी. बाद में इसी कंपनी का नाम बदलकर शालीमार ग्रुप किया गया. शालीमार ग्रुप का इस समय उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली आैर पंजाब में भी कर्इ परियोजनाएं चल रही हैं.

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