बुआ-भतीजे के रिश्ते को किस ओर लेकर जायेगा राज्यसभा चुनाव?
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के दोनों प्रत्याशियों ने बसपा के सहयोग से जीत दर्ज की. इस जीत के बाद यह उम्मीद की जा रही कि अगले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा एक मंच पर होंगे और भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनेंगे. इस उम्मीद को पुख्ता करने […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
March 23, 2018 4:34 PM
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के दोनों प्रत्याशियों ने बसपा के सहयोग से जीत दर्ज की. इस जीत के बाद यह उम्मीद की जा रही कि अगले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा एक मंच पर होंगे और भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनेंगे. इस उम्मीद को पुख्ता करने के लिए गोरखपुर और फूलपुर के प्रत्याशियों को बधाई देते हुए अखिलेश यादव ने मायावती से यह आग्रह किया था कि वह पुरानी बातों को भूल जायें, क्योंकि कई बार पुरानी बातों को भूलना ही अच्छा होता है. अखिलेश की इस अपील और ‘बुआ’ मायावती के साथ भेंट के बाद उम्मीद और जाग गयी थी, लेकिन आज राज्यसभा चुनाव के दौरान जिस तरह की राजनीति हो रही है, उसने राजनीतिक विशेषज्ञों के माथे पर बल ला दिया है कि क्या बुआ-भतीजा एक साथ आयेंगे? आखिर क्या होगा इनके नव पल्लवित रिश्ते का? क्या यह रिश्ता अच्छे से जमने के पहले ही मृतप्राय हो जायेगा?
राजा भैया अखिलेश के साथ पर बसपा से किनारा किया
आज दोपहर अखिलेश यादव ने ट्वीट किया और बाहुबली विधायक राजा भैया को अपने समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. लेकिन राजा भैया ने जो ट्वीट किया, वह सपा और बसपा के रिश्ते के लिए सही नहीं है. राजा भैया ने अखिलेश यादव को तो अपने समर्थन की बात कही है, लेकिन बसपा को समर्थन देने से इनकार कर दिया है. राजा भैया और मायावती के संबंध कैसे रहे हैं, यह जगजाहिर हैं. मायावती ने राजा भैया के किले को ध्वस्त किया था, जिसकी नाराजगी उनके आज के बयान में भी दिखती है.
क्रॉस वोटिंग भी बन सकती है रिश्ते की फांस
समाजवादी पार्टी के नितिन अग्रवाल पहले ही भाजपा के साथ जा चुके हैं, वहीं बसपा के अनिल सिंह ने अपना वोट भाजपा को दिया है. राजा भैया के प्रभाव में कुछ और निर्दलीय विधायक भी हैं, जिनसे बसपा को भी उम्मीद है, ऐसे में इन विधायकों का वोट किसे मिलेगा इसपर संशय है. अगर बसपा के उम्मीदवार को चुनाव में हार नसीब होती है, तो कहना ना होगा कि यह सपा-बसपा गठबंधन के लिए सही नहीं होगा. बसपा ने अपना समर्थन देकर योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में भाजपा को शिकस्त दिलायी, लेकिन अगर उसे रिटर्न नहीं मिला, तो यह बनते रिश्ते में बिगाड़ लाने वाली बात हो जायेगी.