इसे कहते हैं राजनीति: जानें योगी ने कैसे बिगाड़ा बुआ-बबुआ का खेल

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव की दसवीं सीट की लड़ाई रोचक रही. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को पराजित कर दिया, लेकिन प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में असली जीत सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हुई. उन्होंने इस चुनाव के दौरान यह दिखा दिया कि अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2018 9:33 AM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव की दसवीं सीट की लड़ाई रोचक रही. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को पराजित कर दिया, लेकिन प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में असली जीत सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हुई. उन्होंने इस चुनाव के दौरान यह दिखा दिया कि अपनी बिरादारी के नेताओं पर उनका कितना प्रभाव है. उनके इस प्रभाव के कारण ही भाजपा के उम्मीदवार को कांटे के मुक़ाबले में जीत मिली.

योगी आदित्यनाथ के नज़दीकी सलाहकार की मानें तो नौवें उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए हमारे पास पर्याप्त विधायक मौजूद नहीं थे, ऐसे में हमारा प्लान विपक्षी उम्मीदवार को 36 विधायकों के मत हासिल करने से रोकने की थी, क्योंकि इसके बाद दूसरी वरीयता से नतीजा होना था, जो हमारे पक्ष में आना ही था. भाजपा अपनी इस रणनीति में कामयाब रही. उसने सपा समर्थित बसपा के उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर को महज 32 विधायकों के मत तक सीमित कर दिया. भीमराव आंबेडकर को बसपा के 17, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के 7-7 और सोहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के एक उम्मीदवार का ही मत प्राप्त हुआ.

आंबेडकर की उम्मीदों को एक झटका तब भी लगा जब उनकी अपनी ही पार्टी के अनिल सिंह का वोट भाजपा को चला गया और इसके बाद राष्ट्रीय लोकदल का एक वोट अयोग्य क़रार दिया गया. समाजवादी पार्टी के एमएलसी उदयवीर सिंह ने बताया कि हम लोगों ने बीएसपी के उम्मीदवार को जिताने के लिए पूरी कोशिश की. लेकिन हमारे पास पर्याप्त संख्या में विधायक मौजूद नहीं थे. सपा ने अपने विधायकों के वोट ईमानदारी से बीएसपी के उम्मीदवार को दिये थे.

चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले गठबंधन के एक दल के नेता ने बताया कि गठबंधन के उम्मीदवार को जितने वोट मिले हैं, उससे साफ़ होता है कि राजा भैया का वोट गठबंधन के पक्ष में नहीं था. मुख्‍समंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुरवादी राजनीति के नाम पर उन्हें अपने साथ करने में सफल साबित हुए. आदित्यनाथ के एक सलाहकार की मानें तो राजा भैया लगातार भाजपा के लोगों के संपर्क में थे, वे अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में भले शामिल हुए थे लेकिन वे उस दिन भी योगी आदित्यनाथ से मिले थे और वोट डालने के बाद भी मुलाकात करने पहुंचे थे.

राजा भैया और विनोद सरोज का वोट सपा को प्राप्त नहीं हुआ, इस पर भरोसा करने की वजह भाजपा उम्मीदवारों को मिले विधायकों के वोटों का अंक गणित भी है. भाजपा के उम्मीदवारों को कुल 328 वोट मिले हैं. भाजपा के आठ उम्मीदवारों को 39-39 विधायकों का मत मिला है. इसके अलावा 16 विधायकों का वोट नौवें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को प्राप्त हुआ.

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