पढ़ाने को नहीं हैं अंग्रेजी टीचर, आखिर कैसे चलेगी योगी सरकार की अंग्रेजी मीडियम की क्लास?

योगी सरकार जूझ रही है अंग्रेजी के टीचरों की कमी से अप्रैल से शुरू होना है नया सत्र हरीश तिवारी लखनऊ: अंग्रेजी स्कूलों काटक्कर देने के लिए, सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की क्लासेस शुरू करने के लिए योगी सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करने का बड़ा फैसला तो किया, लेकिन अब यही फैसला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2018 7:08 PM

योगी सरकार जूझ रही है अंग्रेजी के टीचरों की कमी से

अप्रैल से शुरू होना है नया सत्र

हरीश तिवारी

लखनऊ: अंग्रेजी स्कूलों काटक्कर देने के लिए, सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की क्लासेस शुरू करने के लिए योगी सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करने का बड़ा फैसला तो किया, लेकिन अब यही फैसला योगी सरकार की मुसीबत बनता जा रहा है. राज्य में सरकार सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई कराना चाहती है, लेकिन हकीकत ये है कि सरकार को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए टीचर ही नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा ऐसे में नए सत्र में अंग्रेजी मीडियम की क्लासेस लगनी मुश्किल लग रही है.

असल में सरकार बनते ही योगी सरकार ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की तर्ज पर राज्य के सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया. अप्रैल में शुरू होने वाले आगामी सत्र से प्रदेश के 5000 सरकारी प्राइमरी स्कूल इंग्लिश मीडियम से संचालित होने थे. इसे योगी सरकार के एक बड़े पहल के तौर पर देखा जा रहा था. सरकार का मानना था कि गांव और छोटे शहरों के बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल की पढ़ाई के लिए किसी निजी प्राइमरी स्कूल में जाना नहीं पड़ेगा और यह शिक्षा सरकारी स्कूलों में मिलेगी. इसके लिए बच्चे को ज्यादा फीस भी नहीं देनी होगी. जो आर्थिक तौर से कमजोर लोगों की समस्या होती है.

दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए स्कूलों को चिन्हित करने और वहां पढ़ाने के लिए टीचर्स को तैयार करने के निर्देश दिए थे. जिन स्कूलों को इंग्लिश मीडियम से संचालित किया जाएगा, उनमें बच्चों की किताबें भी इंग्लिश की होंगी और लेक्चर भी. लेकिन राज्य के सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने इस व्यवस्था को शुरू करने में अपने हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं. अफसरों का कहना है कि जिलों में अंग्रेजी पढ़ाने के लिए टीचर नहीं मिल रहे हैं. अगर टीचर ही पढ़ाने के लिए नहीं होंगे तो बच्चा क्या पढ़ेगा. राज्य के ज्यादातर प्राइमरी स्कूल शिक्षा मित्रों के सहारे चल रहे. इस योजना के अनुसार प्रत्येक ब्लॉक में 5 स्कूल इंग्लिश मीडियम से संचालित होने थी. उसके बाद स्कूलों की संख्या को बढ़ाने की योजना थी.

विभाग का कहना था कि इन स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबें भी इंग्लिश की होंगी और पढ़ाने के लिए चिह्नित टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी. फिलहाल यूपी में करीब 1.59 लाख सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं. इनमें करीब 1.54 करोड़ छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और इनमें से 5000 स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदला जाना था.

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