लखनऊ : विद्युत (संशोधन) विधेयक और बिजली वितरण के निजीकरण के विरोध में विद्युतकर्मियों के विभिन्न संगठनों के करीब एक लाख कर्मचारी मंगलवार को दिल्ली में एकत्र होकर प्रदर्शन करेंगे. ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंपलॉईस एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर से संसद मार्ग तक एक रैली निकाली जायेगी. रैली में पूरे देश के विभिन्न राज्यों से लगभग एक लाख बिजली कर्मचारी हिस्सा लेंगे. एनसीसीओईईई में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इंपलॉईस फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीटू), ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंपलॉईस (एटक), इंडियन नेशनल पावर वर्कर्स फेडरेशन (इन्टक ) तथा अनेक बिजली कर्मचारी संगठन शामिल हैं.
दुबे ने कहा कि विद्युत (संशोधन) विधेयक के जनविरोधी और प्रतिगामी प्रावधानों के विरोध में केंद्र सरकार को कई बार लिखित तौर पर दिया जा चुका है. एनसीसीओईईई और पूर्व ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल के बीच कई बार हुई वार्ता के दौरान कई प्रावधानों में बदलाव करने या उन्हें हटाने पर सहमति बनी लेकिन इस संबंध में संशोधित ड्राफ्ट कभी भी जारी नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि संसद के बजट सत्र के द्वितीय चरण में इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश हो रही है, जिससे बिजली अभियंताओं और अन्य कर्मचारियों में रोष है. एनसीसीओईईई ने इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर आंदोलन के कार्यक्रमों की सूचना दे दी गयी है. उन्होंने बताया कि विद्युत (संशोधन) विधेयक को वापस लेना, बिजली अधिनियम- 2003 की पुनर्समीक्षा और राज्यों में विघटित कर बनायी गयी बिजली कंपनियों का एकीकरण कर बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण का केरल और हिमाचल प्रदेश की तरह एक निगम बनाना एनसीसीओईईई की मुख्य मांगें हैं. उल्लेखनीय है कि केरल में बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण का एक निगम केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश में हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड कार्य कर रहा है.