मायावती ने कहा- बंद का समर्थन, पर हिंसा के खिलाफ है बसपा
हरीश तिवारी लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कियेगये बदलाव के विरोध में दलित संगठनों द्वारा बुलायेगये भारत बंद दौरान हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि दलितों के नाम पर असामाजिक तत्व हिंसा कर रहे हैं. उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. मायावती ने कहा […]
हरीश तिवारी
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कियेगये बदलाव के विरोध में दलित संगठनों द्वारा बुलायेगये भारत बंद दौरान हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि दलितों के नाम पर असामाजिक तत्व हिंसा कर रहे हैं. उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी आंदोलन का समर्थन जरूर करती है, लेकिन वह हिंसा के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की दलित और पिछड़ा वर्ग विरोधी नीतियों की वजह से ही आज सड़कों पर उतर कर विरोध हो रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि बसपा निजी क्षेत्र और पदोन्नति में भी आरक्षण के पक्ष में है और यह हक दिलाने के लिए प्रयास करती रहेगी. बसपा सुप्रीमो ने दलितों के साथ अन्याय की बात पर कहा केंद्र सरकार की जहरीली जातिवादी सोच व कार्यप्रणाली का परिणाम है कि दलितों को उनका कानूनी हक नहीं मिल पा रहा है. जो अधिकार बाबा साहब ने दिलवाए थे वह दलित और आदिवासियों को नहीं मिले हैं. आज भी हर जगह दलितों को अन्याय और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी को घेरते हुएमायावतीने कहा कि बीजेपी अपनी सरकारी शक्ति और संसाधनों का दुरुपयोग कर इसे बढ़ावा दे रही है और दलित कर्मचारियों का प्रमोशन भी इसी के तहत रोका गया है. भारत बंद के दौरान हुई हिंसा पर मायावती ने कहा मैं एससी-एसटी आंदोलन का समर्थन करती हूं, लेकिन दलितों के नाम पर असामाजिक तत्व हिंसा कर रहे हैं. बसपा हिंसा की निंदा करती है और हमारी पार्टी के लोग इसमें शामिल नहीं हैं.
मायावती ने कहा कि एससी-एसटी ऐक्ट को महज कागज का टुकड़ा बनाने को लेकर दलितों और पिछड़ों के सब्र का बांध टूट गया और उन्हें सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार के जातिवाद से प्रेरित फैसलों की वजह से उन्हें सड़क पर उतरना पड़ा है. भारत बंद को पूरे देश में व्यापक समर्थन मिला है. मायावती ने कहा कि हर क्षेत्र को बड़ी कंपनियों और धन्नासेठों को सौंप दिया गया है जिससे उनमें आरक्षण लगभग न के बराबर रह गया है.