उत्तरप्रदेश : योगी कैबिनेट ने निजी स्कूलों की मनमानी फी पर लगाम लगाने की तैयारी की, यह है प्रावधान

लखनऊ : स्कूलों के मनमाने शुल्क पर अंकुश लगाने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित ‘उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) विधेयक-2018’ पर विचार विमर्श किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्तावित विधेयक पर विचार विमर्श किया गया. यह जानकारी उप मुख्यमंत्री दिनेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2018 8:53 AM

लखनऊ : स्कूलों के मनमाने शुल्क पर अंकुश लगाने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित ‘उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) विधेयक-2018’ पर विचार विमर्श किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्तावित विधेयक पर विचार विमर्श किया गया. यह जानकारी उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने दी. शर्मा ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक प्रदेश के छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराते हुए निजी स्कूलों द्वारा वसूले जा रहे मनमाने शुल्क को विनियमित करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को शैक्षिक सत्र 2018-19 से लागू किया जाना प्रस्तावित है.

विधेयक के प्रावधान प्रदेश के अल्पसंख्यक विद्यालयों सहित 20,000 रुपये वार्षिक या इससे अधिक शुल्क वसूलने वाले सभी निजी शैक्षणिक संस्थाओं पर भी प्रभावी होंगे. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विधेयक में शुल्क को विनियमित किये जाने के लिए प्रत्येक मंडल में मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंडलीय शुल्क नियामक समिति के गठन का प्रावधान किया जा रहा है, जिसे सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 के अधीन शुल्क संबंधी मामलों का निस्तारण करने के लिए दीवानी न्यायालय और अपीलीय न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी. मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित की जानेवाली समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों काकार्यकाल दो वर्ष का होगा. प्रस्तावित निर्णय से छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को सीधा लाभ प्राप्त होगा. शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होगा तथा विद्यार्थियों-अभिभावकों पर निजी विद्यालयों द्वारा डालेजा रहे वित्तीय अधिभार से मुक्ति मिलेगी तथा निजी विद्यालय मनमाने ढंग से शुल्क वृद्धि नहीं कर सकेंगे.

शर्मा ने कहा कि यह विधेयक उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई), इंटरनेशनल बेक्कलारेट (आईबी) और इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट आफ सेकेंड्री एजूकेशन (आईजीसीएसई) या सरकार द्वारा समय-समय पर परिभाषित किन्हीं अन्य परिषदों द्वारा मान्यता/संबद्धता प्राप्त ऐसे समस्त स्व वित्तपोषित पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों पर लागू होगा, जिनमें किसी विद्यार्थियों के लिए कुल संभावित देय शुल्क बीस हजार रुपये से अधिक हो. यह विधेयक इन परिषदों में से किसी परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त/संबद्ध अल्पसंख्यक संस्थाओं पर भी लागू होगा. शर्मा ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक के तहत विद्यालय में शुल्क संग्रह की प्रक्रिया खुली, पारदर्शी और उत्तरदायी होगी.

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक के तहत शुल्क का पूर्ण विवरण विद्यालय प्रमुख प्रत्येक शैक्षिक सत्र के प्रारंभ में समुचित प्राधिकारी को प्रस्तुत करेगा. शुल्क का विवरण विद्यालय को अपने वेबसाइट पर अपलोड करना होगा तथा सूचना-पट पर भी प्रकाशित करना होगा. अभिभावकों को फीस मासिक, त्रैमासिक या अर्द्धवार्षिक किस्तों में देनी होगी. विद्यालय शैक्षिक सत्र के दौरान बिना समुचित प्राधिकारी की अनुमति के शुल्क वृद्धि नहीं कर सकेगा. प्रत्येक मान्यता प्राप्त विद्यालय को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विद्यार्थियों से कोई कैपिटेशन शुल्क न लिया जाये. विद्यालयों को विद्यार्थियों की सुविधा के लिए पूरे शैक्षिक वर्ष के दौरान आयोजित किये जानेवाले प्रमुख कार्यक्रमों का कैलेंडर भी प्रकाशित करना होगा.

राज्य मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सहायक अभियंता सम्मिलित प्रतियोगिता परीक्षा नियमावली, 2014 में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी. अब सहायक अभियंता के पदों के लिए इंटरव्यू 250 अंकों के स्थान पर 100 अंक का होगा. लिखित परीक्षा पूर्व की भांति 750 अंक की ही रहेगी. मंत्रिपरिषद ने एक अन्य प्रस्ताव मंजूर किया, जिसके तहत हैदराबाद का अंतरराष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी) प्रदेश के नौ एग्रोक्लाइमेटिक जोन के एक-एक जिले में समन्वित कृषि प्रणाली विकसित करेगा. इस पर 53.23 करोड़ रुपए की राशि व्यय होगी.

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