भाजपा के शाह लखनऊ पहुंचे, एयरपोर्ट पर योगी व महेंद्रनाथ पांडेय ने किया स्वागत, होंगे बदलाव?

लखनऊ : दलित सांसदों की नाराजगी और उन्नाव गैंगरेप कांड में भाजपा विधायक कुलदीपसिंह सेंगर का नाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का आजपहलीबार लखनऊदौरे पर पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने उनका स्वागत किया. वे इस दौरे के दौरान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2018 11:25 AM

लखनऊ : दलित सांसदों की नाराजगी और उन्नाव गैंगरेप कांड में भाजपा विधायक कुलदीपसिंह सेंगर का नाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का आजपहलीबार लखनऊदौरे पर पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने उनका स्वागत किया. वे इस दौरे के दौरान संगठन और सरकार का हाल जानेंगे और फिर प्रधानमंत्री से उस पर मंत्रणा कर फैसला लेंगे. उत्तरप्रदेश की दो सीटों गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव की हार के बाद भाजपा के अंदर से योगी सरकार के खिलाफ आवाज उठे. साथ ही सहयोगी सुहेलदेव समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर ने भी सरकार पर संख्या बल का अहंकार होने का आरोप लगाया था. वे योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं और अमित शाह के समझाने के बाद ही राज्यसभा में भाजपा के पक्ष में वोट देने को राजी हुए थे. यूपी उपचुनाव मेंभाजपा की हार के बाद से राज्य में कई बड़े डेवलपमेंट हुए हैं ओर इन सब के बीच अमित शाह का यह पहला दौरा है. पिछले सप्ताह योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे और इसके बाद ही सरकार व संगठन में बदलाव की अटकलें तेज हो गयी हैं.

उधर, दलित सांसद सावित्री फुले ने एक अप्रैल काे लखनऊ में दलित मुद्दों पर रैली की और अपनी ही सरकार पर एक तरह से सवाल उठाया. उनका आरोप रहा है कि दलितों के उत्पीड़न हो रहा है. इटावा के एमपी अशोक दोरहे ने आरोप लगाया कि भारत बंद के बाद दलितों पर झूठे मुकदमे हो रहे हैं. वहीं राबर्टसगंज के सांसद छोटेलाल खरवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर शिकायत की थी कि वे जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास कोई शिकायत लेकर पहुंचे तो उनकी बात नहीं सुनी गयी और उन्हें चलता कर दिया गया. वहीं, पार्टी के एक और दलित सांसद व पूर्व अधिकारी उदित राज भी लगातार सवाल उठाते रहे हैं.

यानी 2014 के आम चुनाव में जो दलित भाजपा से जुड़े थे और पार्टी के लिए बड़ी राजनीतिक पूंजी गये बने थे वे ही अब चुनावी साल में प्रवेश के दौरान सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. उनकी शिकायत से आम लोगों में भी यह संदेश जा रहा है कि भाजपा इस वर्ग को लेकर गंभीर नहीं है. यह स्थिति भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए चिंता की बात है. अमित शाह ने पिछली बार प्रभारी महासचिव के रूप में यूपी में 80 में 71 लोकसभा सीटें जीत कर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की राह आसान की थी. ऐेसे में अगले चुनाव में भी ऐसा प्रदर्शन करने के लिए मोदी-शाह की जोड़ी कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है.

क्या हो सकता है?

इस बात की मजबूत संभावना है कि सरकार में आने के एक साल बाद भारतीय जनता पार्टी राज्य में सरकार व संगठन दोनों स्तरों पर फेरबदल करे. अभी राज्य में सरकार और पार्टी दोनों का नेतृत्व अगड़ी जाति के पास है. ठाकुर वर्ग के मुख्यमंत्री हैं, जबकि ब्राह्मण वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष. ऐसे में यूपी भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय को केंद्र में पार्टी को कोई जिम्मेवारी देकर पिछड़ा या दलित वर्ग से अध्यक्ष बनाने का निर्णय ले सकती है. यह भी संभव है कि योगी सरकार के अंदर अहम मंत्रालय की जिम्मेवारियों में कोई बदलाव किया जाए.


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