यूपी में विकास की गंगा बहाने के लिए नाबार्ड ने दिये 10 हजार करोड़ से ज्यादा, पढ़ें
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के चहुंमुखी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के मकसद से नाबार्ड ने 2017—18 के दौरान राज्य को 10, 012 करोड़ रुपये की मदद मुहैया करायी है. नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ए के पांडा ने आज एक विज्ञप्ति में कहा कि यह लक्ष्य वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और समर्पित […]
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के चहुंमुखी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के मकसद से नाबार्ड ने 2017—18 के दौरान राज्य को 10, 012 करोड़ रुपये की मदद मुहैया करायी है. नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ए के पांडा ने आज एक विज्ञप्ति में कहा कि यह लक्ष्य वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और समर्पित फंड के जरिये बुनियादी ढांचा विकास, ग्रामीण वित्तीय संस्थानों के सशक्तीकरण, स्वयंसेवी समूहों के जरिये महिला सशक्तीकरण तथा अन्य कई नयी पहल के जरिये हासिल किया गया.
पांडा ने कहा कि ग्रामीण वित्तीय संस्थानों और ग्रामीण उद्यमों के डिजिटल कायापलट से बुंदेलखंड की विकास योजनाएं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन तथा सिंचाई बुनियादी ढांचा एवं उसका प्रबंधन 2018—19 के दौरान राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक : नाबार्ड: की प्राथमिकता सूची में रहेगा. उन्होंने बताया कि राज्य को 2017—18 के दौरान दी गयी वित्तीय सहायता में 8450 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को जारी किये गये.
ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास फंडऋण के तहत 1706 करोड़ रुपये मंजूर हुए और ग्रामीण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 1500 करोड़ रुपये वितरित किये गये, जिसमें 1050 करोड़ रुपये सोनभद्र की कान्हा सिंचाई परियोजना का है. करीब 16 लाख हेक्टेअर सिंचाई क्षमता हासिल करने के लिए दीर्घकालिक सिंचाई कोष के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के मकसद से राज्य सरकार के साथ नाबार्ड ने सहमति पत्र पर दस्तखत किये थे. नाबार्ड सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए उन्हें पूरी मदद और दिशानिर्देश दे रहा है.
पांडा ने बताया कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में पूंजी संचय और बैंकऋण के जरिये किसानों की आय बढाने के मद्देनजर नाबार्ड ने क्षेत्रीय विकास योजनाएं तैयार की हैं जो सभी जिलों के लिए हैं. इन योजनाओं के तहत 300 से अधिक ब्लॉक कवर किये गये हैं. डिजिटल इंडिया अभियान की तर्ज पर नाबार्ड ने आठ जिलों में अपनी ई—शक्ति पायलट परियोजना के तहत स्वयंसेवी समूहों के डिजिटलीकरण का काम हाथ में लिया है. इसका विस्तार अन्य जिलों में भी किया जा रहा है.
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