मुसलमान की बेटी की शादी में छपे कार्ड, कवर पर सीता-राम की तसवीर, अचंभित रह गये हिंदू
-सुल्तानपुर में दिखी हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल लखनऊ : मुझे वजह न दो हिंदू या मुसलमान होने की, मुझे तो तालीम चाहिए सिर्फ एक इंसान होने की. कुछ ऐसा ही किया है, उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के बागसराय में रहने वाले मोहम्मद सलीम ने. सलीम ने बेटी के निकाह में हिंदुओं को निमंत्रित करने […]
-सुल्तानपुर में दिखी हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
लखनऊ : मुझे वजह न दो हिंदू या मुसलमान होने की, मुझे तो तालीम चाहिए सिर्फ एक इंसान होने की. कुछ ऐसा ही किया है, उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के बागसराय में रहने वाले मोहम्मद सलीम ने. सलीम ने बेटी के निकाह में हिंदुओं को निमंत्रित करने के लिए राम-सीता की फोटो तो मुस्लिम बिरादरी को निमंत्रित करने के लिए अपने मजहब के हिसाब से तस्वीर छपवायी. देखते ही देखते निकाह का यह कार्ड पूरे सुलतानपुर के साथ-साथ आसपास के इलाकों में भी चर्चा का विषय बन गया. जिस किसी ने भी कार्ड को देखा तो वह सलीम की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सका.
खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सलीम की इस पहल को खुब सराहा. सलीम के मुताबिक, ऐसा उन्होंने दोनों समुदायों के बीच पनप रही दूरी को कम करने के लिए किया. उन्होंने कहा कि अगर हम दूसरे धर्म का सम्मान करेंगे तो यह तय है कि दूसरे धर्म वाले भी हमारे धर्म का उतना ही सम्मान करेंगे. गत 29 अप्रैल को सलीम की बेटी जहानाबानो की शादी जयसिंहपुर विकासखंड क्षेत्र के अता मोहम्मद के पुत्र यूसुफ मोहम्मद के साथ थी.
शादी में 400 मुस्लिम व 350 हिंदू लोगों को निमंत्रित करने के लिए कार्ड छपवाया गया था. हिंदुओं को बांटे जाने वाले कार्ड पर भगवान राम व मां सीता की फोटो छपवायी गयी थी. शादी के मौके पर पहुंचे हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न सिर्फ सलीम के घर पहुंचकर नव दंपती को आशीर्वाद दिया बल्कि प्रेरणा का स्रोत बन गया.
350 हिंदू परिवार थे आमंत्रित
मोहम्मद सलीम ने अपनी बेटी की शादी में 750 परिवारों को आमंत्रित किया था. इनमें से 400 परिवार मुस्लिम और 350 परिवार हिंदू थे. हिंदू परिवारों को आमंत्रित करने के लिए जो कार्ड छपवाये गये थे, उनमें भगवान राम और सीता की तस्वीर के अलावा हिंदू रीति-रिवाज से होने वाली शादी के दृश्य (शादी का मंडप, हवन की अग्नि, कलश, पूजा की थाली, केले के पत्ते और नारियल, फल और फूलों की सजावट आदि) भी थे.
मुस्लिमों ने भी किया पहल का स्वागत
सलीम के इस तरह के कार्ड को देख सभी को बहुत आश्चर्य हुआ. इस प्रकरण में सबसे अच्छी बात यह रही की मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने सलीम के इस पहल का विरोध नहीं किया. दरअसल, बागसराय गांव में हिंदू व मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग रहते हैं. चाहे हिंदू हो या फिर मुसलमान, दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाते हैं.