जकात की मदद से 26 मुस्लिम युवाओं ने UPSC की परीक्षा में मारी बाजी
लखनऊ : हर साल मुसलमानों की आमदनी और संपत्ति की मालियत के ढाई प्रतिशत हिस्से के तौर पर दी जाने वाली जकात ने इस साल ना सिर्फ 26 युवाओं के सपनों को उनकी मंजिल दी है, बल्कि ऐसे ही ना जाने कितने नौजवानों के लिये उम्मीद की किरण पैदा की है. मती-उर-रहमान, खालिद हुसैन, इमरान […]
लखनऊ : हर साल मुसलमानों की आमदनी और संपत्ति की मालियत के ढाई प्रतिशत हिस्से के तौर पर दी जाने वाली जकात ने इस साल ना सिर्फ 26 युवाओं के सपनों को उनकी मंजिल दी है, बल्कि ऐसे ही ना जाने कितने नौजवानों के लिये उम्मीद की किरण पैदा की है. मती-उर-रहमान, खालिद हुसैन, इमरान अहमद, आसिम खां और उन्हीं के जैसे 22 अन्य नौजवानों में बाकी चीजें अलहदा हो सकती हैं, मगर एक बात उन्हें एक ही सफ में खड़ा करती है, वह है जकात के पैसे की मदद से देश का सबसे मुश्किल इम्तेहान यानी संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास करके अधिकारी बनना. उनके ख्वाबों को मंजिल पर पहुंचाने में ‘जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया‘ ने मदद की है. ये 26 कामयाब युवा उन 51 मुस्लिम अभ्यर्थियों में से हैं, जिन्होंने इस साल यूपीएससी की परीक्षा पास की है.
हाल में घोषित होने वाले इस परीक्षा परिणाम में कामयाब हुए इन अभ्यर्थियों में से सबसे ज्यादा नौ उत्तर प्रदेश के हैं. इसके अलावा केरल के आठ, जम्मू-कश्मीर के तीन, बिहार और महाराष्ट्र के दो-दो तथा कर्नाटक और गुजरात का एक-एक अभ्यर्थी शामिल है. जकात फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर जफर महमूद ने टेलीफोन पर ‘भाषा‘ को बताया कि फाउंडेशन वर्ष 2008 से ही प्रतिभाशाली युवाओं की मदद के लिये काम कर रहा है. संस्था ने योग्य युवाओं को सिविल परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिये ‘सर सैयद कोचिंग एण्ड गाइडेंस सेंटर‘ स्थापित किया है.
जफर महमूद ने बताया कि सच्चर समिति की रिपोर्ट से देश में मुसलमानों की हालत दलितों से भी गयी-गुजरी पाये जाने और लोक सेवाओं में इस समुदाय की भागीदारी लगभग ना के बराबर होने का खुलासा होने के बाद फाउंडेशन ने तय किया कि ऐसे युवाओं की मदद की जाए, जो बेहद प्रतिभाशाली होने के बावजूद आर्थिक रूप से लाचार हैं. उन्होंने कहा कि उसके बाद से इस पहल ने धीरे-धीरे, लेकिन ठोस प्रगति की और जकात फाउंडेशन के सबसे प्रतिभाशाली अभ्यर्थी शाह फैसल ने वर्ष 2009 में यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया.
महमूद ने बताया कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कराने के लिये प्रतिभाशाली युवाओं का चयन पूरे देश में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के जरिये किया जाता है और उन्हें बताया जाता है कि अगर सुव्यवस्थित तरीके से मेहनत करें तो लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि मुसलमानों द्वारा हर साल अपनी आमदनी और जायदाद के ढाई प्रतिशत हिस्से के तौर पर निकाली जाने वाली जकात की रकम से संचालित किया जा रहा यह फाउंडेशन यूपीएससी की तैयारी कर रहे चयनित छात्र-छात्राओं को अपने खर्च पर बेहतरीन कोचिंग, छात्रावास और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराता है. महमूद ने कहा कि यह काम पिछले 10 वर्षों से किया जा रहा है और खुदा का शुक्र है कि इसने फर्क पैदा किया है.
पिछले कुछ वर्षों में यूपीएससी परीक्षा में कामयाबी हासिल करने वाले मुस्लिम अभ्यर्थियों की तादाद में लगातार इजाफा देखा जा रहा है. मालूम हो कि यूपीएससी द्वारा पिछले हफ्ते घोषित परीक्षा परिणामों में 750 पुरुष और 240 महिला अभ्यर्थियों ने कामयाबी हासिल की है.