लखनऊ : उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सह बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ उनके शासनकाल के दौरान वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलों को बेचे जाने के मामले की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी है. इन चीनी मिलों को बेचने से राज्य सरकार को 1179 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. संभावना जतायी जा रही है कि इस संबंध में मायावती जल्द ही मीडिया से रूबरू हो कर अपना पक्ष जनता के सामने रख सकती है.
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बसपा प्रमुख मायावती वर्ष 2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री थी. उनके कार्यकाल में वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलों को मायावती की सरकार ने बेच दिया था. मायावती के करीबी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने वर्ष 2017 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के इशारे पर चीनी मिलें बेची गयी थीं. हालांकि, मायावती ने पलटवार करते हुए कहा था कि चीनी मिलों को बेचने के लिए दिये गये आदेश पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी के हस्ताक्षर हैं.
क्या है मामला
बसपा प्रमुख पर आरोप है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 21 चीनी मिलों को बेचा. इनमें से 10 मिलें सुचारू रूप से संचालित हो रही थीं. इसके बावजूद इन चीनी मिलों को बाजार से बहुत कम कीमत पर बेच दिया गया. करीब 500 हेक्टेयर पर बनी इन चीनी मिलों की कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये आंकी गयी थी. इससे पहले वर्ष 2004-05 में मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में भी 24 चीनी मिलों को बेचने का प्रयास किया गया था, लेकिन हाइकोर्ट के दखल के बाद चीनी मिलों को नहीं बेचा जा सका था. वहीं, सत्ता में अखिलेश यादव की सरकार बनने के बावजूद मायावती शासनकाल में हुए चीनी मिल घोटाले के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया. वहीं, चीनी मिल घोटाला मामले में कैग ने अखिलेश सरकार को वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट सौंपी थी. हालांकि, नवंबर 2012 में लोकायुक्त को इस घोटाले की जांच सौंप दी गयी थी. लेकिन, तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने डेढ़ साल से ज्यादा समय तक जांच के बाद कहा था कि कोई घोटाला नहीं पाया गया.
योगी सरकार ने उठाया कदम
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने चीनी मिल घोटाले को लेकर 12 अप्रैल, 2018 को सीबीआई को पत्र लिखा. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनायी गयी बोगस कंपनियों को प्रदेश की 21 चीनी मिलें बेच दी गयी. इनमें देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, चित्तौनी और बाराबंकी की बंद पड़ी सात चीनी मिलें भी शामिल हैं. उन्होंने लिखा है कि संभव है कि घोटाले के दोषी प्रदेश के बाहर के भी हो सकते हैं. इसलिए, सीबीआई इसकी जांच करे. मालूम हो कि योगी सरकार ने सीबीआई को नवंबर 2017 में गोमती नगर थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की कॉपी भी सौंपी है. इस प्राथमिकी में दो कंपनियां नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और गिरासो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा चीनी मिलें खरीदे जाने की बात कही गयी है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार द्वारा जांच कराये जाने के बाद दोनों कंपनियां बोगस मिली थीं.