लखनऊ: प्रदेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर शुरू हुआ मुठभेड़ों का सिलसिला विपक्ष की आलोचनाओं और आरोपों के बीच बदस्तूर जारी है. आलम यह है कि पिछले करीब 13 महीनों में हुई मुठभेड़ों में 50 अपराधी मारे जा चुके हैं जबकि साढ़े तीन हजार से ज्यादा बदमाशों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस महानिदेशक कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 19 मार्च 2017 को शपथ लेने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में अभी तक हुई मुठभेड़ों में 50 बदमाश मारे गये हैं. इनमें ज्यादातर इनामी बदमाश थे.
आंकड़ों के मुताबिक योगी सरकार के कार्यकाल के पहले 371 दिन, 25 मार्च 2018 तक प्रदेश में 1,478 मुठभेड़ें हुई हैं. पुलिस मुठभेड़ में अपनी जान गंवाने वाला 50वां बदमाश कुख्यात अपराधी रेहान था. मुजफ्फरनगर में गत तीन मई को मारे गये रेहान पर 50 हजार रुपये का इनाम था. मुकीम काला गिरोह के इस सक्रिय सदस्य पर जघन्य अपराधों के 15 मुकदमे दर्ज थे. आंकड़ों के मुताबिक नोएडा में मारे गये कुख्यात बदमाश बलराज भाटी पर ढाई लाख रुपये का इनाम था. इसके अलावा नोएडा में ही मुठभेड़ में मारे गये श्रवण तथा लखीमपुर खीरी में मारे गये बग्गा सिंह पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था.
मुठभेड़ की घटनाओं में मारे गये मुकेश कुमार राजभर, मोहन पासी, नितिन, फुरकान, शमीम, साबिर, अकबर, नूर मुहम्मद, सुमीत गुर्जर, असलम, विकास, रामजानी और सोनू कुमार पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित था. तय प्रक्रिया के तहत इन सभी मुठभेड़ों की मजिस्ट्रेट से जांच करवायी जा रही है. मुठभेड़ की इन घटनाओं में चार पुलिसकर्मी शहीद हुए जबकि 308 घायल हुए हैं. इन घटनाओं में 390 अपराधी जख्मी हुए और 3,435 को गिरफ्तार किया गया.
सबसे ज्यादा 569 मुठभेड़ मेरठ जोन में हुई हैं. उसके बाद बरेली जोन में 253 मुठभेड़ हुईं. आगरा जोन में 241, कानपुर जोन में 112 और गोरखपुर में मुठभेड़ की 51 घटनाएं हुई हैं. आंकड़ों के मुताबिक पुलिस ने 188 अपराधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) की तामील करने के साथ-साथ 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की सम्पत्ति जब्त की है. रासुका के तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताये हिरासत में रख सकती है, बशर्ते उसे यह लगे कि वह शख्स राज्य की सुरक्षा या कानून-व्यवस्था के लिये खतरा बन सकता है. पिछले साल 20 मार्च से इस वर्ष 25 मार्च के बीच पुलिस ने 1455 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की.
हालांकि पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं पर उंगलियां भी उठी हैं और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले साल 22 नवम्बर को इस सिलसिले में राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया था. सपा के विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने राज्य सरकार पर पुलिस मुठभेड़ के नाम पर विरोधियों से राजनीतिक बदला लेने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था ठीक करने के नाम पर शुरू हुआ मुठभेड़ों का सिलसिला बाद में फर्जी मुठभेड़ों में तब्दील हो गया. प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं और मुठभेड़ों को सार्वजनिक मंचों पर जायज ठहरा रही सरकार इसे रोक नहीं पा रही है. भाजपा प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने मुठभेड़ों का बचाव करते हुए कहा कि जब कोई अपराधी पुलिस पर गोली चलायेगा तो पुलिस भी उसका जवाब देगी. पुलिस के डर से अपराधी प्रदेश छोड़कर भाग रहे हैं. हम कानून-व्यवस्था बनाये रखने के प्रति कृत संकल्पित हैं और अपराधियों को बरदाश्त नहीं किया जाएगा.
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