हरीश तिवारी
लखनऊ: कैराना लोकसभा उपचुनाव और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले योगी सरकार ने जाटों को पिछड़ा वर्ग में आरक्षण देने के लिए एक कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी जाटों का आरक्षण देने या उसे समाप्त किये जाने के बारे में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी.
भाजपा सांसद हुकुम सिंह की मौत के कारण रिक्त हुई कैराना लोकसभा सीट पर चुनाव होना है. कैराना में जाट वोट काफी मजबूत स्थिति में है और आमतौर पर अब भाजपा का वोट बैंक माना जाता है. लिहाजा जाट आरक्षण सरकार और विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा है. कई राज्यों में जाटों को ओबीसी के तहत आरक्षण दिया जा रहा है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इसके पक्ष में नहीं है. लिहाजा प्रदेश में भी प्रदेश में जाटों को पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जारी रखने अथवा बंद करने के लिए डाटा इकट्ठा कर संस्तुति देने के लिए राज्य सरकार ने कमेटी गठित कर दी है.
यह कमेटी जाटों की आर्थिक स्थिति और सामाजिक स्तर पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति राघवेंद्र कुमार कमेटी के अध्यक्ष बनाये गये हैं. कमेटी में सेवानिवृत्त आईएएस जेपी विश्वकर्मा, प्रो. भूपेंद्र विक्रम सिंह बीएचयू वाराणसी व अधिवक्ता अशोक राजभर सदस्य हैं. यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के राम सिंह केस व मनवीर की याचिका पर दिये गये आदेशों के पालन में गठित की गयी है.
सरकार द्वारा कमेटी के गठन की जानकारी देने के बाद हाईकोर्ट ने मनवीर की अवमानना याचिका निस्तारित कर दी है. कोर्ट ने कहा कि यदि उचित समय के भीतर सरकार जाटों को आरक्षण जारी या समाप्त करने के संबंध में निर्णय नहीं ले लेती, तो याची दोबारा अवमानना याचिका दायर कर सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने दिया है. अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र ने बहस की कि सुप्रीम कोर्ट ने राम सिंह केस में जाटों को पिछड़ी जाति न मानते हुए उनको दिये जा रहे आरक्षण को समाप्त करने का निर्देश दिया है. इसी निर्णय के आधार पर मनवीर ने याचिका दाखिल कर मांग की कि प्रदेश में जाटों का पिछड़े वर्ग का आरक्षण बंद किया जाये. राज्य सरकार ने कहा कि उसके पास आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.