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हिंदू वोट बिदक जाने के डर से अखिलेश नहीं कर रहे हैं कैराना में चुनाव प्रचार

!!हरीश तिवारी!! लखनऊ : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को कैराना में हो रहे लोकसभा उपचुनाव में हिंदू वोट बैंक के भाजपा में चले जाने का डर सता रहा है. जिसके कारण उन्होंने अभी तक चुनाव प्रचार से दूरी बनायी हुई है. चुनाव प्रचार सिर्फ रालोद की तरफ से ही की जा रहा है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2018 7:44 PM

!!हरीश तिवारी!!

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को कैराना में हो रहे लोकसभा उपचुनाव में हिंदू वोट बैंक के भाजपा में चले जाने का डर सता रहा है. जिसके कारण उन्होंने अभी तक चुनाव प्रचार से दूरी बनायी हुई है. चुनाव प्रचार सिर्फ रालोद की तरफ से ही की जा रहा है. जबकि भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेता रैलियां कर चुके हैं और अखिलेश के प्रचार न करने को बड़ा राजनैतिक मुद्दा बना रहे हैं.
गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी को पटखनी देने के बाद अब विपक्ष की कैराना और नूरपुर उपचुनाव पर निगाह टिकी है. इस बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैराना में चुनाव प्रचार नहीं करने का फैसला किया है. जबकि अखिलेश यादव को आरएलडी और एसपी के स्टार प्रचारक की लिस्ट में रखा था. एसपी और आरएलडी का मत है कि बड़ी रैलियों से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है और यह बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है.
महागठबंधन की नजरें जाट और गुर्जर वोट पर है. कैराना और नूरपुर में दलितों और मुस्लिमों की कुल आबादी 40 फीसदी के करीब है. कैराना में चुनाव प्रचार और बड़ी रैलियों का दांव उल्टा पड़ सकता है और इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मौका मिल जाएगा. रालोद की तरफ से चुनाव में तबस्सुम हसन हैं जबकि भाजपा ने स्वर्गीय हुमुम सिंह की बेटी मृंगाका सिंह को टिकट दिया है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से हुकुम सिंह को पचास फीसदी वोट मिले थे. अखिलेश के बारे में कहा जा रहा है कि मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण के कारण हिंदू वोट बैंक नाराज हो सकता है. आरएलडी के प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि पार्टी ने बड़ी रैलियों की जगह छोटी-छोटी बैठकें करने का फैसला लिया है. आरएलडी के अध्यक्ष अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी गांव-गांव जाकर बैठकें कर रहे हैं। उन लोगों को बीजेपी की तरह बड़ी रैली करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
असल में आरएलडी ने अखिलेश यादव को स्टार प्रचारक बनाया था, इसके बावजूद वह प्रचार से खुद को दूर रखे हैं. एसपी और आरएलडी का कहना है कि उनके गठबंधन से बीजेपी में डर है और इसलिए बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए बड़ी रैलियां कर रही है. बीजेपी की नजर जाट और गुर्जर वोट पर है. इतना ही नहीं कांग्रेस और बीएसपी ने भी अपने समर्थकों से एसपी और आरएलडी के उम्मीदवारों को चुपचाप सपॉर्ट करने को कहा है. अखिलेश के चुनाव प्रचार न करने के मुद्दे को भाजपा ने चुनावी हथियार बनाया हुआ है. भाजपा का कहना है कि अखिलेश ने कैराना में दंगे कराए थे और जिसके कारण हिंदूओं का यहां से पलायन हुआ है. इसके लिए अखिलेश यहां पर नहीं आ रहे हैं.

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