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कर्नाटक का फार्मूला राजस्थान और एमपी में लागू करेगी मायावती की बसपा

यूपीकेबाहर गठबंधन राजनीति को धार देने में जुटी बसपा हरीश तिवारी लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की राजनीति को और धार देने में जुटगयीहै. बसपा यूपी में उप चुनावों में सपा के साथ गठबंधन में मिली सफलता का फार्मूला देश के अन्य राज्यों में भी इस्तेमाल करने की योजना बना रही है. फिलहाल बसपा […]

यूपीकेबाहर गठबंधन राजनीति को धार देने में जुटी बसपा

हरीश तिवारी

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की राजनीति को और धार देने में जुटगयीहै. बसपा यूपी में उप चुनावों में सपा के साथ गठबंधन में मिली सफलता का फार्मूला देश के अन्य राज्यों में भी इस्तेमाल करने की योजना बना रही है. फिलहाल बसपा ने इसके लिए दूसरे राज्यों में प्रभारियों को तैनात करते हुए काम पर लगा दिया है. बसपा प्रभारियों के फीडबैक के आधार पर गठबंधन की संभावनाओं पर मंथन करेगी.

बसपा की मध्य प्रदेश व राजस्थान में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर खासकर नजर है. बसपा इन दोनों राज्यों में संगठन को नए सिरे से खड़ा करने में जुटी है. बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राज्यवार प्रभारी बनाते हुए जिम्मेदारियां सौंप दी हैं. इसके साथ ही वह लगातार इन राज्यों में पार्टी की होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं. मायावती यह साफ कर चुकी हैं कि भाजपा को हराने के लिए उन्हें गठबंधन से गुरेज नहीं है, लेकिन सम्मानजनक सीटों के बंटवारे पर ही वह गठबंधन करेंगी. पार्टी से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि गठबंधन पर कोई भी फैसला मायावती करेंगी. मध्य प्रदेश में बसपा कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रही है वहीं राजस्थान में भी इसी दिशा में सोच रही है. इन दोनों राज्यों में फिलहाल बसपा का कोई बड़ा वोट बैंक नहीं है, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन कर वह कुछ सीटें अपने खाते में कर सकती है वहीं कांग्रेस को बसपा से गठबंधन कर बड़ा फायदा हो सकता है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर जो भी बसपा का कैडर वोट होगा वह कांग्रेस को मिले जाएगा. इससे उसकी सीटों में इजाफा हो सकता है.

कर्नाटक चुनाव में बसपा ने जेडीएस से गठबंधन किया था और वह एक सीट जीतने में कामयाब रही. सबसे दिलचस्प यहहै कि जेडीएस का बसपा के साथ गठबंधन के बाद दो फीसदी वोट बढ़ा, जिसके कारण वह कुछ सीटें जीतने में सफल रही. हालांकि बसपा ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह एक ही सीट पायी. इन कुल सीटों में बसपा को करीब 1.06 लाख वोट मिले. गौरतलब है कि बसपा दलितों के साथ पिछड़ों की राजनीति करती है. मायावती दलित मुद्दों पर बड़ा आंदोलन खड़ा करती रही हैं और उनके हितों की चिंता करती हैं. मायावती की नजर खासकर दलितबाहुल्य सीटों पर है. इसीलिए पार्टी प्रभारियों को ऐसी सीटों के आसपास खासकर संगठन को विस्तार देने का निर्देश दिया गया है. बसपा के अधिकर प्रदेश प्रभारी अपने-राज्यों में संगठन को विस्तार देने में जुटे हुए हैं. इसके बाद इन राज्यों में बसपा प्रमुख की रैलियां भी आयोजित की जाएंगी, जिससे कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके.

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