यूपी में बनेगी विधायकों के आचरण के लिए आदर्श आचार संहिता

-हरीश तिवारी- लखनऊ : विधानसभा में सदन के दौरान विधायकों के गलत आचरण को देखते हुए यूपी में जल्द ही आदर्श आचार संहिता बनायी जायेगी. इसके बन जाने के बाद इसे सूचीबद्ध किया जाएगा, ताकि सदन में कार्यवाही के दौरान होने वाले व्यवधानों को रोका जा सके. असल में सदन के सदस्यों के आचरण को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2018 12:55 PM

-हरीश तिवारी-

लखनऊ : विधानसभा में सदन के दौरान विधायकों के गलत आचरण को देखते हुए यूपी में जल्द ही आदर्श आचार संहिता बनायी जायेगी. इसके बन जाने के बाद इसे सूचीबद्ध किया जाएगा, ताकि सदन में कार्यवाही के दौरान होने वाले व्यवधानों को रोका जा सके.
असल में सदन के सदस्यों के आचरण को लेकर जनसामान्य में अच्छी धारणा का अभाव होता जा रहा है. सदन के अंदर एवं सदन के बाहर के आचरण पर जनता की दृष्टि रहती है. लिहाजा सदस्यों के गलत व्यवहार के कारण सदन की गरिमा गिरती जा रही है. अगर योगी सरकार के पहले विधानसभा सत्र और अन्य सत्रों की बात करें तो विपक्षी विधायकों ने विरोध जताते हुए राज्यपाल पर कागज के गोले बनाकर फेंके थे. जिसके बाद राज्यपाल अपना भाषण छोड़कर चले गए थे। जिसकी समाज के सभी वर्गों ने आलोचना की थी. अकसर यह देखने को मिलता है कि सदस्य अपनी मांगों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के पास चले जाते हैं. जिसके कारण सदन को चलाना मुश्किल हो जाता है.

अब विधानसभा की आचार समिति सदस्य आचरण एवं व्यवहार पर आदर्श आचार संहिता बनाने की तैयारी में है. इस आचार संहिता को सूचीबद्ध किया जाएगा. इसके लिए लिए विधानसभा अध्यक्ष ने भी अपनी सहमति दे दी है. यूपी विधानसभा के अध्यक्ष ह्दयनारायण दीक्षित का कहना है कि चुने जाने के पहले प्रत्येक व्यक्ति एक साधारण नागरिक होता है. विधानसभा में सदस्य चुने जाने के बाद वह असाधारण हो जाता है.

विस सदस्य के आचार-व्यवहार पर उसको चुनने वाले निर्वाचक मण्डल के साथ-साथ पूरे प्रदेश की निगाह होती है. सदन के अंदर और सदन के बाहर उसके प्रत्येक कृत्य पर सतत एवं सूक्ष्म पर्यवेक्षण होता रहता है. आचार समिति विधायकों के लिए आदर्श आचरण एवं व्यवहार संहिता तैयार करते समय इन बिन्दुओं पर विशेष रूप से विचार करेगी. विधायकों का आदर सम्मान बढ़ाना जरूरी है। दीक्षित ने कहा कि आचार संहिता के कार्यान्वयन को आसान बनाने के लिए विधान मंडलों की प्रक्रिया नियमों में परिवर्तन करके एक ऐसी समिति गठित की जाए जो विधायकों द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन या अतिक्रमण के सभी मामलों में विचार करे.

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