शाह का UP दौरा : सांसदों की बढ़ी दिल की धड़कन, 50 फीसदी सांसदों का कट सकता है टिकट

आधे सांसदों के कामकाज से नाखुश हैं अमित शाह हरीश तिवारी@लखनऊ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के यूपी दौरे के बाद भाजपा सांसदों के दिलों की धड़कनें तेज हो गयी हैं. सांसदों की कार्य प्रणाली को लेकर मिले फीडबैक के बाद अब सबकी नजर शाह पर है. शाह ने अपनी बैठकों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2018 5:42 PM

आधे सांसदों के कामकाज से नाखुश हैं अमित शाह

हरीश तिवारी@लखनऊ

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के यूपी दौरे के बाद भाजपा सांसदों के दिलों की धड़कनें तेज हो गयी हैं. सांसदों की कार्य प्रणाली को लेकर मिले फीडबैक के बाद अब सबकी नजर शाह पर है. शाह ने अपनी बैठकों में सांसदों पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और साफ शब्दों में कहा था कि जनता की आकांक्षाओं में खरा नहीं उतरने वाले सांसदों का टिकट काटा जायेगा.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मिर्जापुर और आगरा की दो दिवसीय समीक्षा बैठकों में सांसदों के क्रिया-कलाप और व्यवहार को लेकर नाराजगी जतायी है. उन्होंने कई सांसदों पर आरोप है कि वे अपने सांसद निधि तक का समुचित उपयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ सांसद केंद्र सरकार की लोकप्रिय योजनाओं को भी क्षेत्र की जनता के समक्ष नहीं रख रहे हैं.

इससे क्षुब्ध होकर भाजपा अध्यक्ष ने संकेत दिया है कि अगर प्रदेश के लगभग आधे सांसद चेतावनी के बाद भी नहीं सुधरे तो उनके लोकसभा टिकट काट दिये जायेंगे. शाह ने अपने मिर्जापुर और आगरा की बैठकों में कार्यकर्ताओं से सांसदों के बारे में फीडबैक लिया. उन्होंने कार्यकर्ताओं से बातचीत में इस बात का संकेत भी दिया कि पार्टी को हर हाल में 2019 जीतना है.

इसमें जिन सांसदों के क्रिया-कलाप बाधा बनेंगे उन्हें आगामी चुनाव में पार्टी प्रत्याशी नहीं बनायेगी. भाजपा हाईकमान की सख्ती का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मिर्जापुर में जब शाह राष्ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ कार्यकर्ताओं के साथ बुधवार को बैठक कर रहे थे तो उस समय वर्तमान सांसदों को बाहर ही इंतजार करने को कहा गया था. इससे सांसद क्षुब्ध भी नजर आये.

शाह ने गोरखपुर और अवध क्षेत्र के सांसदों के साथ बैठक में भी कहा कि आप के कामकाज से मैं संतुष्ट नहीं हूं. उन्होंने कहा कि कानपुर और बुंदेलखड के सांसदों के कामकाज भी असंतोषजनक हैं. बैठक में शाह ने संकेत दिया कि आगामी लोकसभा के लिए उम्मीदवारों का चयन उनके कामों के बारे में पार्टी कार्यकर्ताओं से मिली रिपोर्ट के आधार पर ही होगा.

मिर्जापुर और आगरा की बैठकों में एक बात यह भी खुलकर सामने आयी कि अधिकतर सांसद ‘ग्राम चौपाल’ कार्यक्रमों में न तो रात के समय क्षेत्र में रुकते हैं और न ही अधिकतर सांसद मतदाता सूची बनवाने में रुचि लेते हैं. वह जमीनी हालात जानने और मतदाताओं से कम संपर्क में रहने के कारण भी सांसदों से क्षुब्ध नजर आये.

अब शाह के जाने के बाद भाजपा सांसदों की धड़कने तेज हो गयी हैं. सांसदों को डर है कि उनका टिकट काटा जा सकता है, लिहाजा अब वह इसका तोड़ निकालने में जुट गये हैं. कुछ सांसदों ने तो पिछले दिनों केंद्र और यूपी सरकार को आड़े लिया था, जिसके कारण जनता में पार्टी की ईमेज खराब हो रही थी. लिहाजा इस तरह के बगावती तेवर वाले सांसदों का टिकट कटना पक्का है.

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