उत्तरप्रदेश : पुलिस के ट्रांसफर के मामले में फिर शुरू हुआ आइएएस व आइपीएस के बीच विवाद
गाजियाबाद के एसएसपी ने डीएम के रवैये से नाराज होकर अपने ट्रांसफर की मांग सरकार से की है हरीश तिवारी लखनऊ: यूपी में आइएएस और आइपीएस एक बार फिर आमने-सामने हैं. विवाद वहीं पुराना है, लेकिन इस बार इस विवाद में आइपीएस अफसर ने अपना ट्रांसफर कराने के लिए शासन से गुहार लगायी है. फिलहाल […]
गाजियाबाद के एसएसपी ने डीएम के रवैये से नाराज होकर अपने ट्रांसफर की मांग सरकार से की है
हरीश तिवारी
लखनऊ: यूपी में आइएएस और आइपीएस एक बार फिर आमने-सामने हैं. विवाद वहीं पुराना है, लेकिन इस बार इस विवाद में आइपीएस अफसर ने अपना ट्रांसफर कराने के लिए शासन से गुहार लगायी है. फिलहाल इस मामले पर शासन भी चुप बैठा है, लेकिन आइपीएस एसोसिएशन इस बारे में शासन को अपना विरोध जताने की तैयारी में है.
जिलों में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के बीच चली आ रही अधिकारों की लड़ाई में ताजा अध्याय गाजियाबाद जिले ने जोड़ दिया है, जहां डीएम के रवैये से एसएसपी इतने परेशान हो गए हैं कि उन्होंने सीधे शासन को पत्र लिखकर अपना ट्रांसफर करने की मांग कल डाली है. हालांकि यह विवाद पहली बार हुआ है. इससे पहले भी इन दोनों के बीच अपने अधिकारों को लेकर विवाद होता आया है. असल में कुछ महीने पहले शासन ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर आदेश दिया था कि जिलों के थानों में होने वाले ट्रांसफर में जिलाधिकारी की सहमित भी ली जाएगी. इसके बाद इस मामले को आइपीएस अफसरों ने शासन स्तर पर उठाया था, लेकिन आइएएस अफसरों की तानाशाही के कारण इस पर कोई फैसला नहीं हो सका था. इस पत्र के मुताबिक प्रमुख सचिव गृह ने डीजीपी को पत्र लिखकर इस शासनादेश का पालन कराने को कहा था. इसमें जिलों में थाने पर थानाध्यक्ष या इंस्पेक्टर की तैनाती से पहले डीएम से लिखित अनुमोदन प्राप्त करने की अनिवार्यता बतायी गयी है.
फिलहाल गाजियाबाद में डीएम-एसएसपी के बीच विवाद का यह प्रकरण भी थानाध्यक्षों की तैनाती से ही जुड़ा है. विवाद के बाद डीएम ने एसएसपी को कार्रवाई की चेतावनी तक दे डाली है. इससे पहले थानाध्यक्षों की तैनाती को लेकर ही गौतमबुद्धनगर में डीएम-एसएसपी के बीच जमकर शासन स्तर पर पत्र लिखे गए. गौतमबुद्धनगर में एसएसपी ने डीएम के अनुमोदन के बिना ही सात थानाध्यक्षों का तबादला कर दिया था तो डीएम ने बाकायदा पत्र लिखकर नाराजगी व्यक्त कर दी थी. हालांकि शासन के हस्तक्षेप पर यह विवाद तत्काल दूर कर लिया गया था. इससे पहले राज्य के कई जिलों में यह विवाद दोनों अफसरों के बीच उत्पन्न हो चुका है.
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