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जल्दी हो सकता है सपा-बसपा गठबंधन का ऐलान, सपा की ओर से अखिलेश यादव अधिकृत

मायावती कम सीटों पर हो सकती हैं सहमत हरीश तिवारी@लखनऊ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा के बीच जल्द ही गठबंधन का ऐलान हो सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि मायावती ज्यादा सीटों की अपनी मांग पर समझौता कर सकती है. जबकि सपा 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में […]

मायावती कम सीटों पर हो सकती हैं सहमत

हरीश तिवारी@लखनऊ

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा के बीच जल्द ही गठबंधन का ऐलान हो सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि मायावती ज्यादा सीटों की अपनी मांग पर समझौता कर सकती है. जबकि सपा 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. सपा ने इसके लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को अधिकृत किया है. जबकि बसपा की तरफ से मायावती ही इस बारे में फैसला करेगी.

असल में सपा और बसपा जल्द ही लोकसभा चुनाव होने का अंदेशा जता चुके हैं. लिहाजा सपा इसको देखते हुए दो दिन पहले अपनी कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को संभावित गठबंधन के लिए फैसला लेने का अधिकार सौंपा. जबकि बसपा की तरफ से मायावती ही गठबंधन का फैसला करेंगी.

अब ऐसा माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों का महागठबंधन होने पर बहुजन समाज पार्टी 30 सीटों पर अपना दावा पेश कर करेंगी. जबकि पहले मायावती 40 सीटों से कम पर लड़ने के पक्ष में नहीं थी. लेकिन अन्य राज्यों में कांग्रेस से गठबंधन की उम्मीदों को देखते हुए वह दस सीटें अपने तरफ से गठबंधन को देने को तैयार हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस राज्य के दस लोकसभा सीटों पर अपना दावा कर सकती है.

बसपा प्रत्याशियों ने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी थी, उन्हीं सीटों पर बसपा अपना दावा कर रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 20 फीसदी वोट मिले थे, जबकि सपा को 22 फीसदी वोट मिले थे. इसके बावजूद बसपा एक भी सीट लोकसभा चुनाव में नहीं जीत पायी. बसपा के कारण ही भाजपा प्रत्याशी मामूली मतों के अंतर से चुनाव जीत सके थे. उम्मीद की जा रही है कि बिजनौर तथा अंबेडकरनगर की सीट पार्टी प्रमुख मायावती के लिए सुरक्षित रहेगी.

जानकारों का कहना है कि बसपा प्रमुख इन दोनों सीटों में से एक सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. प्रदेश में लोस चुनाव को लेकर विपक्षी दलों में महागठबंधन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. यूपी की लोकसभा की 80 सीटों में से 30 सीटों पर दलित मतदाता निर्णायक साबित होते हैं और ये वहीं सीटें हैं. जिसमें बसपा लड़ना चाहती है.

शायद यही वजह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशियों ने भाजपा प्रत्याशियों को कांटे की टक्कर दी है. बसपा समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के प्रभाव वाली सीटों पर दावेदारी नहीं करना चाहती है, ताकि गठबंधन की राह में कोई रोड़ा न आ सके. बसपा के शीर्ष नेतृत्व ने महागठबंधन के तहत 30 सीटों पर मुहर लगा दी है.

महागठबंधन व सीटों के बंटवारे की घोषणा हो न हो, पर बसपा ने इन सीटों पर फोकस कर रणनीति बनानी शुरू कर दी है. जबकि सपा भी उन्हीं सीटों पर नजर लगाये हुए, जिनमें उसने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी. जबकि पहले लोकसभा चुनाव में सपा 5 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

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