देवरिया/लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवरिया जिले में बिहार के मुजफ्फपुर बालिका गृह जैसा मामला सामने आने के बाद जिले के जिलाधिकारी सुजीत कुमार को पद से हटा दिया है. जिलाधिकारी पर राज्य सरकार के आश्रय गृह को बंद कराने के आदेश की अवहेलना का आरोप है. इस बात की जानकारी उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रीता बहुगुणा ने दी. उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. मुख्यमंत्री ने दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो वहां जाकर मामले की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी.
CM has ordered for the removal of Deoria's DM Sujit Kumar. Further action will be taken against him after the reports come: Rita Bahuguna Joshi, UP Women & Child Welfare Minister on #DeoriaShelterHomeCase pic.twitter.com/IENfWzNZ5m
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 6, 2018
गौरतलब है कि देवरिया शेल्टर होम में बच्चियों के शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण की खबर सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश
के प्रशासनिक तंत्र व राजनीति में भूकंप आ गया है और सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले जैसा कांड सामने आया है, जहां एक बालिका गृह मां विध्यवासिनी में बच्चियों के शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण का मामला सामने आया है. पुलिस ने इस मामले में बालिका गृह के संचालक पति-पत्नी सहित तीन को गिरफ्तार किया है.
पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने आज बताया, ‘स्टेशन रोड स्थित मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित आश्रयगृह से कल शाम 24 लड़कियों को मुक्त कराया गया है. इसमें कुल 42 लोग रहते थे. 18 लड़कियां अभी भी लापता हैं.’ पूरी घटना की जानकारी उस वक्त मिली जब आश्रयगृह में रहने वाली एक लड़की महिला थाने पहुंची और लड़कियों की दयनीय हालत के बारे में जानकारी दी। लड़की ने बताया, ‘‘कई बार सफेद,काले और लाल रंग की कारें आती हैं और लड़कियों को ले जाती हैं. जब लड़किया सुबह लौटती हैं तो वे रोती हैं.’ देवरिया के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उन्हें पुलिस मुख्यालय से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश मिले थे. इस बीच, प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) आनंद कुमार ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच की जाएगी.
उसमें रहने वाले बच्चों का मेडिकल परीक्षण किया जाएगा. पाक्सो कोर्ट के सामने उनके बयान दर्ज कराए जाएंगे. विधिवत कार्रवाई की जाएगी.’ प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि उनके विभाग ने उस आश्रयगृह की मान्यता समाप्ति के आधार पर उसे बंद करने के आदेश दिये थे. विभाग ने पिछले दिनों इस मामले में एक मुकदमा भी दर्ज कराया था. जो घटना सामने आयी है, वह गंभीर है. सच्चाई सामने आयेगी और इस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी. गौरतलब है कि वर्ष 2017 में संस्था की गतिविधि संदिग्ध पाये जाने के बाद सीबीआई ने बालिका गृह का लाइसेंस रद्द कर दिया था, बावजूद इसके संस्था में बच्चियों को रखा जा रहा था.
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पुलिस एसपी रोहन पी कनई ने बताया कि जांच चल रही है और जल्दी ही मामले की पूरी जानकारी मिल जायेगी. उन्होंने बताया कि यहां से 24 लड़कियों का रेस्क्यू किया गया है, साथ ही 18 बच्चियां लापता हैं और अभी तक इनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पायी है.
One of the girls escaped from the shelter home, came to us & said they are treated like servants. She also said that cars come to pick girls above 15 years old & the girls come crying the next day. Investigation is underway: Superintendent of Police Rohan P Kanay pic.twitter.com/nJyjpl0mxz
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 5, 2018
हालांकि संस्था की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने कहा कि उनपर जो इल्जाम लगाया जा रहा है वह बिलकुल गलत है. पुलिस तो कुछ भी कहकर उसे कबूल करवाना चाहती है. उन्होंने बताया कि उनका तीन साल से भुगतान नहीं किया गया है. भुगतान न मिलने के कारण वह संस्था को खाली नहीं कर रही थी.
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर कांड के बाद देश भर में कई इलाकों में शेल्टर होम जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. भागलपुर के शेल्टर होम पर भी सवालिया निशान खड़े किये हैं जिसके बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने शेल्टर होम के संचालक प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार किया है. टाटा इंस्टीच्यूट अॅाफ सोशल साइंस ने अपनी अॅाडिट रिपोर्ट में यह दावा किया है कि शेल्टर होम में बच्चियों की रहने की व्यवस्था ठीक नहीं थी.