जमीन हड़पने के मामले में भाजपा विधायक समेत सात पर केस दर्ज करने के आदेश

भदोही (उप्र) : भदोही की एक अदालत ने भाजपा विधायक रवींद्रनाथ तिवारी और उनके परिवार के चार अन्य सदस्यों तथा तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक सहित कुल सात लोगों के खिलाफ फर्जी कागजात बनाकर जमीन हड़पने और उस पर अवैध निर्माण कराने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये हैं. भदोही के मुख्य न्यायिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2018 7:18 PM

भदोही (उप्र) : भदोही की एक अदालत ने भाजपा विधायक रवींद्रनाथ तिवारी और उनके परिवार के चार अन्य सदस्यों तथा तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक सहित कुल सात लोगों के खिलाफ फर्जी कागजात बनाकर जमीन हड़पने और उस पर अवैध निर्माण कराने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये हैं.

भदोही के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राम करन यादव ने कृष्णानंद तिवारी नामक व्यक्ति की जमीन को फर्जी कागजात बना कर हड़पने और उस पर स्कूल बनाने के लिए उसे एक फर्जी संस्था को 15 साल के लिए देने के बाद उसकी आड़ में प्रदेश सरकार से 20 लाख रुपये लेकर गलत तरीके से अपना मकान बनाने के मामले में भदोही शहर से भाजपा विधायक रवींद्रनाथ तिवारी समेत सात लोगों के खिलाफ कल मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये. पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने मंगलवारको बताया कि अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है. अदालत ने विधायक तिवारी, उनके परिवार के सदस्य विक्रमादित्य तिवारी, अरविंद तिवारी, सुभाष चंद तिवारी और सचिन तिवारी तथा फर्जी बैनामे में गवाह बने चंद्रजीत यादव और तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक आनंदकर पांडेय के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.

उन्होंने बताया कि यह मामला विधायक तिवारी के गांव चैगुना का है. अदालत में पीड़ित कृष्णा नंद तिवारी ने एक याचिका दाखिल करके कहा कि वर्ष 2008 में जौनपुर जिले के बरसठी क्षेत्र से बसपा के विधायक रहे तिवारी और उनके साथियों ने अपने गांव की रकबा संख्या 126 की दो बीघा जमीन को फर्जी बैनामा दिखा कर एक संस्था के नाम कर दिया. उसके बाद उस संस्था पर शासन से बीस लाख रुपये अनुदान के रूप में प्राप्त कर लिये. इस सिलसिले में तैयार कागजात पर शासन की तरफ से तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक आनंदकर पांडेय ने, जबकि संस्था की तरफ से विधायक ने दस्तखत किये थे. जमीन के असल मालिक कृष्णानंद तिवारी ने बताया कि विधायक ने बालिकाओं का विद्यालय बनाने के लिये सरकार से 20 लाख रुपये हासिल किये, मगर स्कूल की जगह अपना मकान बनवा लिया. मामले की जानकारी होने पर उसने स्थानीय प्रशासन से न्याय की गुहार की मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. बाद में उसने अदालत की शरण ली.

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