– मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव पर नजर
प्रभात खबर@लखनऊ
आगामी महीनों में देश के चार राज्यों और अगले साल मई तक होने वाले लोकसभा चुनाव में बसपा की नाराजगी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है. बसपा प्रमुख मायावती के तेवर से कांग्रेस नेतृत्व सकते में है. बसपा पहले ही तीनों राज्यों में अलग चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अब बातचीत का मोर्चा स्वयं संभाल लिया है और अब इस मामले को वह अपने स्तर पर सुलझाना चाहता है.
इस बातचीत में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को कोई तरजीह नहीं मिलेगी. बहरहाल कांग्रेस की तरफ से कोई सकारात्मक रूख न आता देख बसपा ने अपना दांव चल दिया है. पहले छत्तीसगढ़ में बसपा ने अजित जोगी की पार्टी के साथ करार किया फिर मध्य प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा की. फिर बुधवार को कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का गठबंधन न करने का ऐलान किया है.
हालांकि कांग्रेस को अभी भी उम्मीद है कि मायावती के अलग राह चुनने के बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान में पार्टी उन्हें मना लेगी लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो सका है. केंद्रीय नेतृत्व अब इस मामले को खुद देखेगा और मायावती की नाराजगी को दूर करने का प्रयास करेगा. क्योंकि अभी तक स्थानीय स्तर पर भी कांग्रेस के नेता गठबंधन के लिए बात कर रहे थे.
तीनों राज्यों में बसपा के एकला चलो के राग से लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की उम्मीदों को भी पलीता लगा है ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश रहेगी कि मायावती एक बार फिर से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें. फिलहाल की परिस्थितियों में बसपा की कांग्रेस से दूरी जहां पार्टी के लिए नुकसान का सबब बन सकती है तो वहीं भाजपा के लिए यह गेम चेंजर हो सकता है.
आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो मध्य प्रदेश में 14 से 15 प्रतिशत दलित मतदाता हैं. कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि अगर आगामी चुनाव में यदि राज्य में कांग्रेस और बसपा मिलकर चुनाव लड़ते तो भाजपा का समीकरण गड़बड़ा सकता था. राज्य के उत्तर प्रदेश से लगे इलाकों में बसपा का खासा जनाधार है. इस लिहाज से देखा जाए तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है.
राजस्थान में पिछले चुनाव में बसपा के तीन विधायक चुन कर आये थे. कई सीटों पर उसके उम्मीदवारों को दस हजार से ज्यादा वोट मिले थे. इस लिहाज से राजस्थान में भी बसपा की नाराजगी कांग्रेस के लिये शुभ संकेत नहीं है. छत्तीसगढ़ में तो बसपा पहले ही अजित जोगी के साथ गठबंधन कर चुकी है. इन तीन राज्यों के अतिरिक्त कांग्रेस बसपा के साथ लोकसभा चुनाव के लिए भी गठबंधन चाहता है.
क्योंकि भले ही यूपी छोड़कर मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसपा लोकसभा सीट जीतने की हैसियत में न हो, लेकिन कांग्रेस को उसका पांच से दस हजार का वोट बैंक आसानी से शिफ्ट हो सकता है. लिहाजा अब कांग्रेस आलाकमान भविष्य की राजनीति को देखते हुए बसपा से बातचीत के लिए खुद मोर्चा संभालेंगे.