योगी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज, जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की तैयारी

लखनऊ : नवरात्र में प्रदेश की योगी सरकार में एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. हालांकि पिछले छह महीने से मंत्रिमंडल की अटकलें चल रही हैं, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है. योगी सरकार इस विस्तार के जरिये जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2018 8:12 PM

लखनऊ : नवरात्र में प्रदेश की योगी सरकार में एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. हालांकि पिछले छह महीने से मंत्रिमंडल की अटकलें चल रही हैं, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.

योगी सरकार इस विस्तार के जरिये जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश में है. क्योंकि कई सामाजिक संगठन अपनी जाति के मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी न होने का आरोप लगा चुके हैं. हालांकि योगी सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की खबरें अकसर सत्ता के गलियारों में सुनाई देती हैं. लेकिन कुछ समय बाद अपने आप शांत हो जाती है. राज्यसभा और विधानपरिषद के चुनाव में भाजपा को मिली सफलता के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि योगी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा.

क्योंकि कई नेता सपा और बसपा से भाजपा में आए थे. हालांकि भाजपा ने कई जातीय समीकरणों का संतुलन बनाते हुए नेताओं को राज्यसभा और विधानपरिषद में भेजा था. मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच इस मुद्दे पर बातचीत भी हो गयी थी.

लेकिन जातीय संतुलन न साध पाने के दबाव में योगी सरकार ने विस्तार को टाल दिया. हालांकि संघ की तरफ से कई मंत्रियों की कार्यप्रणाली की शिकायत योगी और भाजपा आलाकमान से की गयी है. लिहाजा ऐसा माना जा रहा है कि जब भी विस्तार किया जाएगा इसमें कुछ चेहरे मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में लाये जाएंगे और संगठन से कुछ चेहरे सरकार में भेजे जाएंगे.

अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और भाजपा केन्द्र और राज्य में सत्ताधारी पार्टी है. ऐसे में सरकार विरोधी लहर से सरकार को नुकसान होने की पूरी संभावना है. लिहाजा जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए इस नुकसान को कम किया जा सकता है. भाजपा ने पिछले कुछ समय के दौरान अपने कोर वोटर को छोड़कर एससी और ओबीसी पर अपना फोकस किया है. ऐसे में परंपरागत वोट भी उससे दूर हो सकता है.

अभी तक राज्य के 45 जिलों और कई जातियों की मंत्रिमंडल में कोई हिस्सेदारी नहीं है. लिहाजा सरकार निगमों और प्राधिकरणों के अध्यक्षों के पद पर भी भाजपा नेताओं को नियुक्त करने की योजना बना रही है. ताकि इसके जरिये जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधा जा सके. ऐसा माना जा रहा है कि अगर सब ठीकठाक रहा तो योगी आदित्यनाथ नवरात्र में मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं.

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