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राफेल मामला: राहुल को दिया अखिलेश ने झटका, कहा- सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम है

लखनऊ/नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में शुक्रवार को मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी जिसपर बयानों का दौर जारी है. इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का बयान भी सामने आया है. उनके बयान ने कांग्रेस को झटका देने का […]

लखनऊ/नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में शुक्रवार को मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी जिसपर बयानों का दौर जारी है. इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का बयान भी सामने आया है. उनके बयान ने कांग्रेस को झटका देने का काम किया. मामले को लेकर अखिलेश ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम है, हमने जब जेपीसी की मांग की तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल नहीं दिया था लेकिन कोर्ट का फैसला आ गया है और कोर्ट ने हर मामले पर गौर किया है तो अगर किसी को इस फैसले से परेशानी है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए.

शुक्रवार को कोर्ट ने सौदे में सीबीआइ को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने से भी मना कर दिया. राफेल से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि देश को लड़ाकू विमानों की जरूरत है. देश इसके बगैर नहीं रह सकता है. ऑफसेट साझेदार के मामले में किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं है.

उधर, सरकार ने राफेल पर आरोपों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की. पार्टी ने कहा कि सत्य की जीत हुई है. हालांकि, कांग्रेस ने इसे नकारते हुए कहा कि पार्टी यह साबित करके रहेगी कि सौदे में चोरी हुई है. इस मामले पर कोर्ट में कैग रिपोर्ट का उल्लेख है, जबकि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है. सत्ता पक्ष को विशेषाधिकार नोटिस लाने की चुनौती दी. इससे पहले कोर्ट ने पूछा कि 2016 में जब सौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा था, तब किसी ने सवाल नहीं उठाया? याचिका दायर करने वालों में यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, एमएल शर्मा और विनीत ढांडा व आप नेता संजय सिंह शामिल थे.

क्या कहा खड़गे ने
इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार कहा कि वह पीएसी के सदस्यों से आग्रह करेंगे कि अटॉर्नी जनरल और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को बुलाकर पूछा जाए कि राफेल मामले में कैग की रिपोर्ट कब और कहां आयी है. खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार ने न्यायालय के समक्ष कैग रिपोर्ट तौर पर गलत जानकारी रखी जिस वजह से इस तरह का निर्णय आया है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने संवाददाताओं से कहा कि राफेल के बारे में न्यायालय के सामने सरकार को जिन चीजों को ठीक ढंग से रखना चाहिए था, वो नहीं रखा. अटॉर्नी जनरल ने इस तरह से पक्ष रखा कि न्यायालय को यह महसूस हुआ कि कैग रिपोर्ट संसद में पेश हो गई है और पीएसी ने रिपोर्ट ने देख ली है.


चौकीदार को चोर उन्होंने ही कहा, जिन्हें मोदी से डर

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि जनता को गुमराह करने व सेना के बारे में संदेह पैदा करने के लिए राहुल गांधी देश की जनता से माफी मांगें. राहुल देश की जनता को जवाब दें कि वह किस आधार पर उसे गुमराह कर रहे थे? उनके आरोपों के बारे में जानकारी का स्रोत क्या था? चौकीदार को चोर उन्हीं लोगों ने कहा, जिन्हें पीएम मोदी से डर है.

सरकार बताये कि राफेल पर कैग रिपोर्ट कहां है: राहुल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस विमान सौदे में भ्रष्टाचार होने का आरोप दोहराया. कहा कि सरकार बताये कि इस मामले पर कैग की रिपोर्ट कहां है, जिसका उल्लेख अदालत में किया गया है? जेपीसी से जांच की मांग करते हुए कहा कि यदि यह जांच हो गयी, तो पीएम मोदी और अनिल अंबानी का नाम ही सामने आयेगा.

सौदे में कारोबारी पक्षपात के सबूत नहीं, सभी याचिकाएं खारिज

राफेल मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बड़ी राहत दी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह का कोई कारण नहीं है. न ही लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण है. वैसे भी कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है. खरीद, कीमत व ऑफसेट साझेदार के मामले में हस्तक्षेप के लिए उसके पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं है. दोनों पक्षों ने खरीद से जुड़े सभी पहलुओं पर स्पष्टीकरण दिया है.

राफेल सौदा : कुछ ऐसा रहा घटनाक्रम

30 दिसंबर, 2002 : खरीदी प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए रक्षा खरीदी प्रक्रिया (डीपीपी) अपनायी गयी.

चार सितंबर, 2008 : मुकेश अंबानी नीत रिलायंस समूह ने रिलायंस एरोस्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड का गठन किया

30 जनवरी, 2012 : दसाल्ट एविएशंस के राफेल विमानों ने सबसे कम मूल्य का निविदा पेश किया.

13 मार्च, 2014 : हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और दसाल्ट एविएशन के बीच 108 विमानों को बनाने को लेकर समझौता हुआ.

10 अप्रेल, 2015 : फ्रांस ने प्रयोग के लिए पूरी तरह से तैयार 36 विमानों के नये सौदे की घोषणा की.

18 नवंबर, 2016 : सरकार ने संसद को बताया कि प्रत्येक राफेल विमान की कीमत करीब 670 करोड़ रुपये होगी और सभी विमान अप्रैल 2022 तक प्राप्त हो जायेंगे.

13 मार्च, 2018 : केन्द्र के फैसले की स्वतंत्र जांच और संसद के समक्ष सौदे की कीमत का खुलासा करने का अनुरोध करते हुए एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर.

पांच सितंबर, 2018 : जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए न्यायालय ने हामी भरी

10 अक्टूबर, 2018 : न्यायालय ने केन्द्र से कहा कि वह राफेल सौदे पर निर्णय लेने की प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी सीलबंद लिफाफे में मुहैया कराये.

14 नवंबर, 2018 : न्यायालय ने राफेल सौदे की जांच अदालत की निगरानी में कराने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की.

14 दिसंबर, 2018 : राफेल सौदा पर न्यायालय ने केन्द्र को क्लीन चिट दी.

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